तेजस की सप्लाई में देरी का कारण:
तेजस विमान भारत के लिए विकसित एक अत्याधुनिक हल्का लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाने में सहायक है। हालांकि, इन विमानों की सप्लाई में देरी आई है, जिसका प्रमुख कारण अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस द्वारा इंजन की समय पर आपूर्ति न हो पाना बताया गया है।
एचएएल के सीएमडी डीके सुनील ने कहा कि 2023 में उन्हें केवल एक इंजन ही मिला है, जबकि कुल 12 इंजन की आपूर्ति की उम्मीद थी। कोविड-19 महामारी के दौरान उत्पादन में बाधा और कंपनी के वरिष्ठ इंजीनियरों के चले जाने से यह देरी हुई। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी इस समस्या को उठाया था, जिससे यह मुद्दा चर्चा में आया।
मार्च 2026 तक इंजन की आपूर्ति की उम्मीद
एचएएल के अनुसार, तकनीकी समस्याओं को हल कर लिया गया है और मार्च 2026 तक 12 जेट इंजन की आपूर्ति होने की उम्मीद है। डीके सुनील ने आश्वासन दिया कि यदि इंजन की निरंतर आपूर्ति बनी रही, तो एचएएल अगले वित्त वर्ष में 16 जेट विमानों का उत्पादन कर सकेगा। इससे भारतीय वायुसेना को अपने हल्के लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी और इसकी लड़ाकू क्षमता में वृद्धि होगी।
तेजस परियोजना और सरकार की खरीद योजनाएं
भारत सरकार ने फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए जेट विमानों की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये का अनुबंध एचएएल के साथ किया था। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय 67,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 और तेजस एमके-1ए खरीदने की प्रक्रिया में है। तेजस विमान न केवल भारत के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आधुनिक लड़ाकू क्षमताओं को भी मजबूत करता है।
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