क्यों जरूरी हुआ ब्रिज कोर्स?
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (D.El.Ed) अनिवार्य योग्यता मानी जाती है। जबकि बीएड धारकों को सामान्यतः कक्षा 6 से 8 तक के लिए उपयुक्त माना जाता है। बिहार में नियोजन प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में बीएड धारकों की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालयों में हो गई, जो अब नियमों की कसौटी पर सवाल खड़ा करती है।
इसी विसंगति को दूर करने के लिए अब इन शिक्षकों को ब्रिज कोर्स करना होगा, जिससे वे प्राथमिक स्तर की शिक्षा के अनुरूप प्रशिक्षित हो सकें। यह कोर्स राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के माध्यम से ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मोड में संचालित किया जाएगा।
क्या है कोर्स की रूपरेखा?
NIOS ने इसके लिए एक विशेष पोर्टल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोर्स शुरू होते ही शिक्षकों को एक वर्ष के भीतर इसे पूरा करना होगा। कोर्स का उद्देश्य न केवल योग्यताओं की पूर्ति है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि शिक्षक प्राथमिक स्तर की शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
क्या होगा अगर कोर्स नहीं किया?
यह कोर्स केवल औपचारिकता नहीं है। सरकार और संबंधित संस्थान इसे अनिवार्य मान रहे हैं। यदि कोई शिक्षक इस कोर्स को समय पर पूरा नहीं करता है या असफल होता है, तो उसकी नियुक्ति रद्द की जा सकती है। यानी कोर्स करना न केवल शिक्षा की गुणवत्ता की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि नौकरी बचाने के लिए भी अनिवार्य है।
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