S-400: सिर्फ एक हथियार नहीं, रणनीतिक बढ़त
रूसी मूल का S-400 ट्रायम्फ सिस्टम पहले ही दुनिया के सबसे घातक एयर डिफेंस प्लेटफॉर्म्स में शामिल है, लेकिन भारत ने इसे सिर्फ एक डिफेंसिव सिस्टम के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है।
ऑपरेशन "सिंदूर" के दौरान S-400 ने न सिर्फ निगरानी विमान को, बल्कि पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों, जिनमें F-16 और C-130 जैसे विमान भी शामिल थे, को निशाना बनाया। इतने सटीक और दूरस्थ हमले आज तक किसी देश द्वारा इतनी प्रभावी ढंग से नहीं किए गए थे।
टेक्नोलॉजिकल डॉमिनेंस की होड़
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षों में अंतरराष्ट्रीय हथियारों की मौजूदगी भी साफ तौर पर देखी गई। अमेरिका, रूस, फ्रांस, तुर्की और चीन जैसे देशों के प्लेटफॉर्म्स दोनों ओर से इस्तेमाल हुए। लेकिन अंतर साफ है। भारत ने टेक्नोलॉजी को रणनीतिक सोच के साथ जोड़ा, वहीं पाकिस्तान अब भी सीमित संसाधनों में अपनी वायुसेना को संभालने में लगा है।
आपको बता दें की भारत की एयरफोर्स लंबे समय से रूस के प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर रही है, चाहे वो Su-30MKI हो, MiG सीरीज़ या अब S-400। करीब 60% भारतीय सैन्य प्लेटफॉर्म्स रूसी मूल के हैं, और उनका ट्रैक रिकॉर्ड भी भरोसेमंद रहा है।
क्या भारत रूस से S-500 खरीदेगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत S-400 की सफलता के बाद एक कदम आगे बढ़कर रूस से S-500 प्रमेतेई एयर डिफेंस सिस्टम खरीदेगा? दरअसल S-500 एक बहुस्तरीय डिफेंस प्लेटफॉर्म है जो हाइपरसोनिक मिसाइलों और ICBMs को भी इंटरसेप्ट करने में सक्षम है। अगर भारत इसे खरीदता है, तो न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन के खिलाफ भी एक बड़ी सैन्य बढ़त हासिल कर सकता है।
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