यूपी में शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि की उम्मीद, कब होगा ऐलान?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत करीब 1.46 लाख शिक्षामित्रों की निगाहें इस समय सरकार की अगली मंत्री परिषद की बैठक पर टिकी हैं। लंबे समय से मानदेय बढ़ोतरी की मांग कर रहे शिक्षामित्रों को उम्मीद है कि इस बार सरकार उनकी प्रतीक्षा का अंत करेगी।

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति ने मानदेय बढ़ाने से जुड़ी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। हालांकि, समिति ने स्पष्ट किया है कि मानदेय में वृद्धि का निर्णय उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह एक वित्तीय निर्णय है, जिसके लिए केवल मंत्री परिषद की स्वीकृति आवश्यक है।

समिति में बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल, एससीईआरटी निदेशक गणेश कुमार, परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी और मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक राकेश सिंह शामिल थे। समिति ने सर्वसम्मति से यह मत दिया कि शिक्षामित्रों के मानदेय से जुड़ा अंतिम निर्णय केवल मंत्री परिषद स्तर पर ही लिया जाना उचित होगा।

इस रिपोर्ट का संबंध इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 जनवरी 2024 के आदेश से है, जिसमें सरकार को शिक्षामित्रों के मानदेय की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए थे। समिति के अनुसार, किसी अधिकारी या विभाग द्वारा इस पर एकतरफा निर्णय लेना विधिक रूप से उचित नहीं होगा।

वर्तमान में शिक्षामित्रों को प्रति माह ₹10,000 मानदेय दिया जा रहा है। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का नियमितीकरण रद्द किए जाने के बाद से वे लगातार अपने मानदेय में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। शुरुआती दिनों में उनका मानदेय मात्र ₹3,500 था, जो धीरे-धीरे बढ़कर वर्तमान स्तर तक पहुंचा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते शिक्षक दिवस (5 सितंबर) को इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल करने का वादा किया था। इसी कारण शिक्षामित्रों में उम्मीद बनी हुई है कि सरकार जल्द ही कोई ठोस घोषणा करेगी। फिलहाल पूरा मामला मंत्री परिषद के समक्ष विचाराधीन है। यदि आने वाली बैठक में इस पर निर्णय लिया जाता है, तो यह राज्य के लाखों शिक्षामित्रों के जीवन में आर्थिक राहत और न्याय की एक नई किरण लेकर आएगा। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री के वादे के अनुरूप शिक्षामित्रों की यह प्रतीक्षा कब समाप्त होती है।

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