8वां वेतन आयोग: सरकारी वकीलों को भी मिलेगा फायदा!

नई दिल्ली। भारत सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में समय-समय पर सुधार करने के लिए वेतन आयोग (Pay Commission) का गठन करती है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की घोषणा की गई है, जिसके 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। यह खबर लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राहत और उत्साह लेकर आई है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी वकीलों (Government Advocates) को भी इस वेतन आयोग का लाभ मिलेगा? क्या उनकी तनख्वाह में भी उसी तरह इजाफा होगा, जैसा अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए अपेक्षित है? आइए, इस पर विस्तार से जानते हैं।

सरकारी वकील: कौन आते हैं इस श्रेणी में?

सरकारी वकील वे होते हैं जो केंद्र या राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में पैरवी करते हैं। इसमें Public Prosecutors (PP), Assistant Public Prosecutors (APP), Legal Advisors, और Law Officers जैसे पद शामिल होते हैं। ये वकील या तो स्थायी सरकारी कर्मचारी होते हैं या अनुबंध (Contract) पर नियुक्त किए गए होते हैं।

क्या सरकारी वकीलों को मिलेगा 8वें वेतन आयोग का लाभ?

हां, 8वें वेतन आयोग का लाभ केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत स्थायी सरकारी वकीलों को अवश्य मिलेगा। जैसे कि केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों या संगठनों में नियुक्त लीगल एडवाइजर, लॉ ऑफिसर या पब्लिक प्रॉसिक्यूटर। हालांकि, राज्य सरकारों के अधीन आने वाले वकीलों को इस लाभ का फायदा तभी मिलेगा, जब संबंधित राज्य सरकारें अपने स्तर पर 8वें वेतन आयोग को अपनाएंगी। हर राज्य की अपनी वेतन नीति होती है, इसलिए राज्यों में यह निर्भर करेगा कि वे इस आयोग की सिफारिशों को कब और कैसे लागू करते हैं।

कितनी बढ़ेगी सैलरी?

वेतन वृद्धि का मुख्य आधार होता है फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor)। यह वह गणितीय अनुपात होता है, जिसकी मदद से वर्तमान मूल वेतन को नए वेतन ढांचे में बदला जाता है। 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर के 2.86 होने का अनुमान है। यदि यह लागू होता है, तो: वर्तमान न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,000 तक हो सकता है। वरिष्ठ वकीलों, जिनकी ग्रेड पे और अनुभव ज्यादा है, उनकी सैलरी में कई गुना बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, यह वृद्धि कर्मचारी के ग्रेड, सेवा अवधि, और अन्य भत्तों पर भी निर्भर करेगी।

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