आकस्मिक निरीक्षण और कड़ी कार्रवाई
22 और 23 जून को लखनऊ, सीतापुर समेत कई जिलों में आकस्मिक छापेमारी की गई। इन निरीक्षणों में खाद विक्रेताओं के स्टॉक, रजिस्टर, रेट बोर्ड और बिक्री रसीदों की गहन जांच की गई। जहां भी ओवररेटिंग, टैगिंग और रिकॉर्ड में अनियमितता पाई गई, वहां संबंधित प्रतिष्ठानों को सील कर उनके लाइसेंस निलंबित या रद्द कर दिए गए।
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश के लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में दो दुकानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की गई। वहीं सीतापुर के सिधौली और सांडा में कुछ दुकानदार ताला लगाकर भाग गए, जिनकी दुकानें सील कर दी गईं हैं और जांच जारी है।
अधिकारी की लापरवाही पर त्वरित कार्रवाई
सीतापुर के जिला कृषि अधिकारी मनजीत कुमार को निरीक्षण में लापरवाही बरतने के कारण तत्काल निलंबित कर दिया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि मार्च के बाद से उन्होंने कोई निरीक्षण नहीं किया। कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे समय-समय पर निगरानी करें और किसानों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।
किसानों की शिकायतों पर त्वरित एक्शन
कुशीनगर और बलरामपुर जैसे जिलों से किसानों ने मोबाइल पर शिकायतें कीं कि उन्हें यूरिया, सल्फर और जिंक जैसे उर्वरक महंगे दामों पर बेचे गए। इन शिकायतों के आधार पर संबंधित विक्रेताओं पर एफआईआर दर्ज की गई और उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं।
सरकार ने निर्देश जारी किया है कि उर्वरकों की बिक्री केवल खतौनी (भूमि रिकॉर्ड) के आधार पर हो, रसीद देना अनिवार्य हो, और दुकानों पर रेट लिस्ट प्रदर्शित की जाए। किसी भी कंपनी का उर्वरक जबरन नहीं बेचा जाएगा और टैगिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नॉन-फंक्शनल लाइसेंस हटाए गए
राज्य में अब तक 1,07,000 रिटेलर लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनमें से 23,000 से अधिक गैर-क्रियाशील लाइसेंस पोर्टल से हटा दिए गए हैं। अब केवल सक्रिय रिटेलर ही खाद की बिक्री कर सकेंगे। सरकार में कहा हैं की किसानों को खाद की कमी नहीं होगी।
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