डीपीओ स्थापना सह माध्यमिक शिक्षा संजय कुमार यादव ने विद्यालयों का निरीक्षण कर 17 शिक्षकों के मोबाइल जब्त किए, जो कक्षा के समय मोबाइल मनोरंजन में व्यस्त थे। इस कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि शिक्षक केवल कागजों पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए स्कूल नहीं आएं, बल्कि कक्षा में बच्चों को पढ़ाने और उनके विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं। शिक्षकों की यह गैरजिम्मेदाराना हरकत बच्चों की पढ़ाई में बाधा डाल रही है और शिक्षा के उद्देश्य को कमजोर कर रही है।
मौजूदा समय में जहां ई-शिक्षा कोष के माध्यम से शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा रहा है, वहीं कुछ शिक्षक इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। वे विद्यालय में मौजूद होकर भी अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काटते हैं और मोबाइल पर वीडियो या रील देखकर अपना समय बिताते हैं। यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि शिक्षक ही बच्चों के मार्गदर्शक होते हैं, और उनका अनुशासन और समर्पण बच्चों के भविष्य को आकार देता है।
डीपीओ ने स्पष्ट किया है कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई होगी और उन्हें चेतावनी से नहीं छोड़ा जाएगा। साथ ही प्रधानाध्यापक को भी जिम्मेदारी दी गई है कि वे विद्यालय में शिक्षकों की निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि कक्षा के दौरान मोबाइल का उपयोग केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हो। विद्यालय में अनुशासन बनाए रखना अब और भी जरूरी हो गया है ताकि बच्चों का ध्यान पूरी तरह पढ़ाई पर केंद्रित रह सके।
यह कदम न केवल शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है। शिक्षक समुदाय को चाहिए कि वे इस संदेश को गंभीरता से लें और मोबाइल या अन्य विकर्षणों से दूर रहकर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें। तभी बिहार में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और विद्यार्थी भी बेहतर भविष्य के लिए तैयार हो सकेंगे।
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