लंबित डिलीवरी का समाधान
S-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लंबे समय से विलंबित थी। इस बहुप्रतीक्षित मिसाइल सिस्टम की शेष डिलीवरी को लेकर भारत और रूस के बीच गतिरोध समाप्त होते हुए दिखाई दे रहा है। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति जताई। राजनाथ सिंह ने वार्ता के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा, "भारत-रूस रक्षा सहयोग को और मजबूत करने को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।"
डिलीवरी का टाइमलाइन
रूसी अधिकारियों के मुताबिक, चौथी स्क्वाड्रन की आपूर्ति वर्ष 2026 में और पांचवीं स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2027 में की जाएगी। इससे भारत की वायु रक्षा प्रणाली की मजबूती और बढ़ेगी, जो देश की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
S-400 का सैन्य महत्व
S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली भारत की एयर डिफेंस नेटवर्क की सबसे बाहरी परत के रूप में कार्य करती है। यह अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और निगरानी विमानों को 380 किलोमीटर की दूरी से पहचान कर मार गिराने में सक्षम है। इसे भारतीय वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) से जोड़ा गया है, जो इसकी मारक क्षमता और नियंत्रण को और प्रभावी बनाता है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग की मजबूती
यह सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के मजबूत रिश्ते का प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रूस से विभिन्न हथियार प्रणालियों और रक्षा उपकरणों की खरीद कर अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया है। S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी से भारत के हवाई सुरक्षा कवच में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत की रणनीतिक स्थिरता के लिए अहम है।
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