बिहार में सभी जमीन मालिकों के लिए बड़ा अपडेट

पटना। बिहार सरकार राज्य में जमीन से जुड़ी रजिस्ट्री प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। राज्य सरकार की पहल पर अब जमीन की रजिस्ट्री और उससे जुड़े दस्तावेजों को पूरी तरह पेपरलेस करने की तैयारी की जा रही है। इससे न सिर्फ प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।

क्या है नई व्यवस्था?

निबंधन कार्यालयों में अब रजिस्ट्री के लिए दस्तावेजों को मैन्युअली लिखवाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय सभी प्रक्रिया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी। जमीन खरीदने और बेचने वाले पक्षकारों और गवाहों के हस्ताक्षर भी डिजिटल माध्यम से लिए जाएंगे।

इसके बाद रजिस्ट्री के दिन पक्षकारों को सिर्फ बायोमैट्रिक सत्यापन के लिए संबंधित निबंधन कार्यालय जाना होगा। सत्यापन के बाद उन्हें रजिस्ट्री का दस्तावेज मिलेगा, जिसमें एक क्यूआर कोड और विशेष सिक्योरिटी फीचर्स होंगे। ये दस्तावेज पूरी तरह से डिजिटल होंगे, जिससे छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं रहेगी।

कहां हो रहा है ट्रायल?

फिलहाल यह नई व्यवस्था चार जिलों के निबंधन कार्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती परीक्षण सफल रहा है और जैसे ही इसकी पूर्ण समीक्षा हो जाएगी, इसे राज्य के सभी जिलों में लागू कर दिया जाएगा।

क्या होंगे फायदे?

1 . दस्तावेजों की सुरक्षा बढ़ेगी: डिजिटल दस्तावेज क्यूआर कोड और सिक्योरिटी फीचर्स से लैस होंगे, जिससे जालसाजी की संभावना न्यूनतम हो जाएगी।

2 .भौतिक संधारण की जरूरत नहीं: ऑफिसों में ढेरों फाइलें रखने की जरूरत खत्म हो जाएगी, जिससे स्थान और संसाधनों की बचत होगी।

3 .समय और मेहनत की बचत: दस्तावेज खुद लिखवाने और कई बार दफ्तर जाने की जरूरत नहीं होगी।

4 .पारदर्शिता बढ़ेगी: ऑनलाइन प्रक्रिया से भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका पर भी असर पड़ेगा।

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