'ड्रोन-राइफल' क्या है?
BSS एलायंस द्वारा विकसित इस प्रणाली में AK-203 राइफल को एक छोटे ड्रोन में माउंट किया गया है। यह ड्रोन न केवल तेज गति से उड़ सकता है, बल्कि दुश्मन के इलाके में घुसकर सटीक निशाना लगाकर गोलियां बरसा सकता है। यह भारतीय सेना और एयरफोर्स दोनों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, खासकर आतंकवाद विरोधी अभियानों और शहरी युद्ध स्थितियों में।
कैसे काम करता है यह 'ड्रोन-राइफल'?
यह प्रणाली तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
स्पीड और फ्लेक्सिबिलिटी: ड्रोन का हल्का और एयरोडायनामिक डिजाइन इसे तेजी से उड़ने और लक्ष्य को चकमा देने में सक्षम बनाता है।
AI-पावर्ड टारगेटिंग: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फायर कंट्रोल सिस्टम है जो सटीक निशाना लगाने में मदद करता है।
सुरक्षित ऑपरेशन: यह सिस्टम उन जगहों पर काम करता है जहां सैनिकों को भेजना जानलेवा हो सकता है। ऑपरेटर इसे दूर से ही नियंत्रित कर सकते हैं।
तकनीकी खूबियाँ
ड्रोन की उड़ान रेंज: 15 से 25 किलोमीटर
उड़ान समय: 45 से 60 मिनट
AK-203 की फायरिंग रेंज: 300 से 600 मीटर
सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव
इस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि यह सटीकता के साथ दुश्मन को खत्म कर सकता है, वो भी बिना किसी मानव सैनिक को जोखिम में डाले। आतंकवादी ठिकानों, घनी बस्तियों या सीमावर्ती दुर्गम इलाकों में यह प्रणाली सैनिकों के लिए बड़ी राहत बन सकती है।
AI-पावर्ड ऑटोनॉमस हथियार: ‘नेगेव LMG’
BSS मटेरियल लिमिटेड की एक और बड़ी उपलब्धि AI-पावर्ड ऑटोनॉमस मशीन गन सिस्टम है – ‘नेगेव एनजी LMG’। यह सिस्टम पूरी तरह से खुद से ऑपरेट करने वाला हथियार है, जिसका परीक्षण 14,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया है।
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