तेजस मार्क-2 का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और DRDO (Defence Research and Development Organisation) के सहयोग से किया जा रहा है। इसे वायुसेना की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है।
क्या है खास तेजस मार्क-2 में?
तेजस मार्क-2, मौजूदा तेजस (मार्क-1ए) की तुलना में आकार, मारक क्षमता और रेंज के मामले में कहीं अधिक उन्नत होगा। इसमें जो प्रमुख बदलाव और विशेषताएं शामिल हैं, वे निम्नलिखित हैं:
1 .अधिक पेलोड क्षमता: तेजस मार्क-2 करीब 6.5 टन तक हथियारों और उपकरणों को ले जाने में सक्षम होगा, जो कि तेजस मार्क-1 की तुलना में कहीं अधिक है।
2 .लंबी रेंज: नया इंजन और ईंधन क्षमता बढ़ने से इसकी रेंज भी ज्यादा होगी, जिससे यह ज्यादा दूर तक उड़ान भर सकेगा।
3 .स्वदेशी तकनीक: लगभग 80% कंपोनेंट भारत में ही विकसित किए गए हैं — जैसे एवियोनिक्स, रडार, कंट्रोल सिस्टम और कॉकपिट डिस्प्ले।
4 .GE F414 इंजन: अमेरिका से मिले इस शक्तिशाली इंजन के कारण यह फाइटर जेट तेज़ी से उड़ान भरने, उच्च ऊंचाई तक जाने और भारी पेलोड लेकर लौटने में सक्षम होगा।
5 .मल्टीरोल क्षमता: यह विमान एक साथ कई प्रकार के मिशनों को अंजाम दे सकता है — एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और समुद्री हमले।
भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को मजबूती
तेजस मार्क-2, भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक सशक्त उदाहरण है। रक्षा क्षेत्र में यह विमान देश को विदेशी हथियारों की निर्भरता से धीरे-धीरे मुक्त कर रहा है। इसकी तकनीकी दक्षता अब वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा को मज़बूत कर रही है।
वायुसेना के लिए बड़ी उपलब्धि
वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “तेजस मार्क-2 के शामिल होने से मिग-29 और मिराज-2000 जैसे पुराने विमानों की जगह एक नई पीढ़ी का स्वदेशी विकल्प मिलेगा। इससे न सिर्फ हमारी मारक क्षमता बढ़ेगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स और मेंटेनेंस में भी आसानी होगी।” तेजस मार्क-2 2026 में उड़ान भर सकता हैं।
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