चार जिले अत्यधिक कम बारिश वाले (40% से 60%)
मऊ, संत कबीर नगर, कुशीनगर, पीलीभीत। इन जिलों में 40% से 60% के बीच ही बारिश हुई है, जिससे खरीफ की प्रमुख फसलें जैसे धान और मक्का की बुवाई प्रभावित हो रही है।
चार जिले अल्प वर्षा वाले (40% से कम)
गाजियाबाद, शामली, गौतमबुद्ध नगर, देवरिया। यहां स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि इन क्षेत्रों में वर्षा 40% से भी नीचे रही है। सूखे जैसे हालात के कारण मिट्टी में नमी की कमी हो गई है, जिससे पारंपरिक खरीफ फसलों की बुवाई लगभग असंभव हो गई है।
सरकारी उपाय और कृषि विभाग की योजना
प्रदेश सरकार ने इन आठ जिलों को विशेष श्रेणी में रखते हुए कृषि विभाग को आकस्मिक योजना बनाने का निर्देश दिया है। इसके तहत परंपरागत धान और मक्का जैसी जल-संवेदनशील फसलों की जगह ऐसी फसलें लगाने की सलाह दी जा रही है, जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है। विशेष रूप से तोरिया जैसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को निशुल्क बीज वितरण योजना के तहत तोरिया का बीज मुहैया कराया जा रहा है, ताकि वे वैकल्पिक खेती की ओर रुख कर सकें। इसके अलावा अन्य सूखा-रोधी फसलों की बुवाई के लिए तकनीकी सलाह, उर्वरक और बीज की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा रही है।
किसानों की चिंता व आवश्यक सहयोग
हालात को देखते हुए किसानों के बीच चिंता और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। समय पर बारिश न होने से फसल का चक्र बिगड़ गया है। कृषि इनपुट्स की लागत और संभावित नुकसान को लेकर किसान सहमे हुए हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार न सिर्फ बीज वितरण और तकनीकी सहायता दे, बल्कि फसल बीमा, सिंचाई के वैकल्पिक साधनों और वित्तीय सहयोग के जरिये किसानों को स्थायी राहत प्रदान करे।
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