खनन, एल्युमीनियम और रेलवे: रणनीतिक फोकस
बैठक में जिन प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया, उनमें खनन, एल्युमीनियम उत्पादन और रेलवे परिवहन प्रमुख हैं। खनन क्षेत्र में उन्नत उपकरणों के निर्माण से लेकर अन्वेषण तकनीकों और कचरा प्रबंधन तक, भारत और रूस ने मिलकर तकनीकी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। विशेष रूप से घरेलू और औद्योगिक कचरे के कुशल प्रबंधन में साझा विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग कर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।
एल्युमीनियम और उर्वरकों के उत्पादन के क्षेत्र में रूस की तकनीकी क्षमता और भारत की बढ़ती मांग मिलकर एक स्थायी औद्योगिक मॉडल का निर्माण कर सकते हैं। रेलवे क्षेत्र में सहयोग, खासतौर पर मालवहन क्षमता और आधुनिक तकनीकी उन्नयन के संदर्भ में, भारत की अधोसंरचना परियोजनाओं को मजबूती देगा।
उच्च तकनीक और एयरोस्पेस में कदमताल
इस बार की बैठक सिर्फ परंपरागत औद्योगिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं रही, बल्कि दोनों देशों ने उभरती हुई तकनीकों पर भी गहन विचार-विमर्श किया। एयरोस्पेस विज्ञान, छोटे विमानों के पिस्टन इंजन, पवन सुरंग सुविधाओं की स्थापना और 3D प्रिंटिंग जैसी तकनीकों में साझा अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता दी गई है। यह सहयोग भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों को नई ऊर्जा देगा।
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और कोयला गैसीकरण
दुनिया भर में रणनीतिक खनिजों की बढ़ती मांग के बीच, भारत और रूस ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण में सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया। साथ ही भूमिगत कोयला गैसीकरण तकनीक के जरिए पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा उत्पादन की दिशा में भी प्रयासों को बल देने की बात हुई।
नेतृत्व और व्यापक भागीदारी
बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के DPIIT सचिव अमरदीप सिंह भाटिया और रूस के उद्योग व व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव ने की। उनके नेतृत्व में जिस तरह दोनों देशों ने रणनीतिक मुद्दों पर स्पष्ट संवाद और गंभीर प्रतिबद्धता दिखाई, उससे यह साफ हो गया कि यह सहयोग केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि दीर्घकालिक साझेदारी की ठोस नींव है।
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