क्या है "ग्रीन गोल्ड सर्टिफिकेट"?
1 से 7 जुलाई के बीच उत्तर प्रदेश के जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और अन्य सरकारी संस्थानों में जन्म लेने वाले बच्चों को वन विभाग की ओर से एक विशेष प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जिसे "ग्रीन गोल्ड सर्टिफिकेट" नाम दिया गया है।
इस सर्टिफिकेट के साथ एक पौधा – विशेषकर इमारती लकड़ी जैसे सागौन या शीशम की प्रजाति – भी भेंट की जाएगी। इसका उद्देश्य केवल पौधरोपण नहीं, बल्कि उस पौधे को नवजात के साथ जोड़ते हुए उसके संरक्षण और देखभाल के लिए अभिभावकों को प्रेरित करना है।
इस योजना का उद्देश्य और महत्त्व
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुनील चौधरी के अनुसार, इस पहल का मकसद सिर्फ पौधे लगाना नहीं, बल्कि जनसहभागिता को बढ़ावा देना और पर्यावरण को लेकर परिवारों में भावनात्मक जुड़ाव पैदा करना है। इस योजना के ज़रिए सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जिस तरह एक बच्चे की परवरिश प्यार, देखभाल और समय मांगती है, उसी तरह एक पौधे की भी देखभाल की जानी चाहिए।
इस योजना का कैसे होगा कार्यान्वयन?
वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर इस योजना को मूर्त रूप देंगे। सभी वन प्रभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संबंधित अस्पतालों से संपर्क कर संस्थागत प्रसव की सूची प्राप्त करें। नवजात के माता-पिता को पौधे के साथ यह सर्टिफिकेट दिया जाएगा। उन्हें यह भी जानकारी दी जाएगी कि पौधा कहां और कैसे लगाना है, साथ ही उसकी देखभाल कैसे करनी है।
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