यूपी में शिक्षामित्रों को बड़ी राहत: सरकार ने किया ऐलान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत लाखों शिक्षामित्रों के लिए एक बड़ी राहतभरी खबर सामने आई है। लंबे समय से अपने ग्राम पंचायत से बाहर के स्कूलों में कार्यरत शिक्षामित्रों को अब जल्द ही उनके मूल विद्यालय या नजदीकी विद्यालयों में तैनाती मिलने जा रही है। राज्य सरकार द्वारा जनवरी 2025 में शिक्षामित्रों के स्थानांतरण और समायोजन को लेकर बनाई गई नीति पर अब अमल शुरू हो गया है।

स्थानांतरण प्रक्रिया की शुरुआत जल्द

राज्य में इस समय शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, शिक्षामित्रों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रदेश में वर्तमान में लगभग 1.42 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं, जिनमें से करीब 35 हजार शिक्षामित्र अब भी अपने मूल ग्राम पंचायत से बाहर के विद्यालयों में तैनात हैं।

शिक्षामित्रों का इतिहास और स्थिति

वर्ष 2014 में स्नातक और बीटीसी योग्यता पूरी करने वाले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त कर विभिन्न विद्यालयों में समायोजित किया गया था। लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद, वे शिक्षामित्र जो टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके थे, उन्हें फिर से शिक्षामित्र बना दिया गया। 2018 में कुछ शिक्षामित्रों को उनके पुराने विद्यालयों में भेजा गया, पर अब भी बड़ी संख्या में शिक्षामित्र दूरस्थ विद्यालयों में सेवा दे रहे हैं।

महिला शिक्षामित्रों को विशेष सुविधा

नई नीति के तहत विवाहित महिला शिक्षामित्रों को भी राहत दी गई है। अब उन्हें अपने पति के जिले में स्थानांतरण का अवसर मिलेगा। अनुमानतः ऐसी लगभग 1500 महिला शिक्षामित्र हैं, जो विवाह के बाद अपने ससुराल चली गईं, लेकिन अब तक उनका विद्यालय स्थानांतरित नहीं हो सका।

उत्तर प्रदेश में कैसे होगा समायोजन?

हाल ही में जारी शासनादेश के अनुसार, शिक्षामित्रों को सबसे पहले उसी विद्यालय में भेजा जाएगा, जहां वे पूर्व में कार्यरत थे। यदि उस विद्यालय में पद रिक्त नहीं है, तो उन्हें उसी ग्राम सभा के किसी अन्य विद्यालय में समायोजित किया जाएगा। इससे शिक्षामित्रों को न केवल आवागमन की कठिनाई से राहत मिलेगी, बल्कि वे अपने परिवारों के करीब रहकर बेहतर कार्य कर सकेंगे।

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