18 साल से पहले शारीरिक संबंध: सर्वाइकल कैंसर का खतरा!

हेल्थ डेस्क। सर्वाइकल कैंसर यानी गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर — यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर में पनपती है, लेकिन समय रहते न पकड़ी जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है। महिलाओं में यह चौथा सबसे आम कैंसर है, लेकिन जागरूकता की कमी और नियमित जांच न होने के कारण यह देर से पकड़ में आता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में विश्व भर में 6,60,000 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हुआ था। भारत में यह कैंसर महिलाओं के बीच 6 से 29 प्रतिशत तक पाया जाता है, जो एक चिंताजनक तथ्य है। खासतौर पर 18 वर्ष से पहले शारीरिक संबंध बनाने वाली लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है।

कैसे जुड़ा है उम्र और यौन संबंध का रिश्ता कैंसर से?

जब शरीर पूरी तरह विकसित नहीं होता, खासकर प्रजनन अंग, तब किसी भी तरह का यौन संक्रमण (जैसे कि HPV वायरस) आसानी से पकड़ बना सकता है। HPV यानी ह्यूमन पेपिलोमावायरस, वही वायरस जो सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।

कई शोध ये बतलाते हैं की अगर कम उम्र में यौन संबंध शुरू हो जाएं, तो: गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं संक्रमण के लिए ज़्यादा संवेदनशील होती हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी मजबूत नहीं होती। संक्रमण लंबे समय तक बिना लक्षण के छिपा रह सकता है। नतीजा? कई सालों बाद कैंसर बनने की संभावना बढ़ जाती है।

कौन-से लक्षण बता सकते हैं कि कुछ गड़बड़ है?

सर्वाइकल कैंसर चुपचाप बढ़ता है, लेकिन शरीर कुछ इशारे देता है: अचानक या असामान्य ब्लीडिंग – जैसे पीरियड्स के बीच या यौन संबंध के बाद। योनि से बदबूदार या गाढ़ा डिस्चार्ज। पेट के निचले हिस्से या पीठ में लगातार दर्द। पेशाब में जलन या खून आना। थकावट, वजन घटना, भूख कम होना। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

क्या हर HPV संक्रमण कैंसर बन जाता है?

नहीं। ज्यादातर मामलों में शरीर खुद ही वायरस को खत्म कर देता है। लेकिन कुछ स्ट्रेन (जैसे HPV-16 और HPV-18) अगर लंबे समय तक शरीर में रहें, तो ये कैंसर की वजह बन सकते हैं। खासकर उन महिलाओं में जिनका शरीर बार-बार संक्रमण का शिकार होता है, या जो बहुत कम उम्र में यौन रूप से सक्रिय हो जाती हैं, उनमें ये रिस्क कई गुना बढ़ जाता है।

इससे कैसे बचा जाए?

HPV वैक्सीन – 9 से 26 साल की उम्र में लगवाना सबसे असरदार होता है यौन संबंधों की सही उम्र और सुरक्षा का ध्यान। नियमित पप स्मीयर टेस्ट और सर्वाइकल स्क्रीनिंग। धूम्रपान और शराब से दूरी। साफ-सफाई और पार्टनर की हेल्थ को लेकर सतर्कता। 

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