8वां वेतन आयोग: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 5 बड़ी खबर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग की घोषणा की है, जो देश के एक करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में संशोधन करेगा। हालांकि अभी तक आयोग के मुख्य सदस्यों की नियुक्ति और टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को अंतिम रूप देने के संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चर्चा और अटकलें जोरों पर हैं। खासतौर पर फिटमेंट फैक्टर, भत्तों के पुनर्गठन और पेंशन बढ़ोतरी को लेकर।

8वें वेतन आयोग के तहत भत्तों में संभावित बदलाव

34वीं SCOVA (स्वयंसेवी एजेंसियों की स्थायी समिति) की मार्च 2025 में हुई बैठक में संकेत मिला कि 8वें वेतन आयोग न केवल वेतन बढ़ाने बल्कि मुख्य भत्तों में भी बड़ा पुनर्गठन करेगा। इस बार HRA, ट्रैवल अलाउंस, महंगाई भत्ता (DA), और मेडिकल अलाउंस जैसे भत्तों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

निश्चित चिकित्सा भत्ता (FMA) में बड़ी वृद्धि

पेंशनभोगियों के लिए निश्चित चिकित्सा भत्ता को मौजूदा 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये करने का प्रस्ताव SCOVA की बैठक में पारित हो चुका है। यह बढ़ोतरी 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। इसका मुख्य कारण बढ़ती महंगाई और इलाज के खर्च को ध्यान में रखते हुए पेंशनभोगियों की सहायता करना है।

फिटमेंट फैक्टर में बढ़ोतरी का असर

पिछले आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना था, जिससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निर्धारित हुआ था। इस बार खबरें हैं कि सरकार इस फैक्टर को 2.8 से 3.0 गुना तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है, तो न्यूनतम वेतन 26,000 से 27,000 रुपये तक पहुंच सकता है, वहीं पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर लगभग 25,000 रुपये हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

HRA, यात्रा भत्ता और अन्य भत्तों में बदलाव

सरकार एचआरए की दरों और संरचना को फिर से तय करने की प्रक्रिया में है। खासकर मेट्रो शहरों के लिए HRA की दरें अधिक रखने पर विचार हो रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों के लिए यात्रा भत्ते (TA) की गणना अलग-अलग हो सकती है। इससे भत्तों में क्षेत्रीय भेदभाव को बेहतर तरीके से समायोजित किया जाएगा।

महंगाई भत्ते (DA) को मूल वेतन में मिलाने की योजना

एक और बड़ा प्रस्ताव यह है कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल किया जाए। इससे कर्मचारियों के कुल वेतन में तत्काल कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, लेकिन भविष्य में DA की दरों में वृद्धि पर नियंत्रण रहेगा। इससे सरकार के वित्तीय प्रबंधन में स्थिरता आएगी, हालांकि कर्मचारियों को इसके लंबे समय तक प्रभावों के प्रति सजग रहना होगा।

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