भारत का सुखोई-30 MKI: एक भरोसेमंद जवाब
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सैम लिचटेंस्टीन के अनुसार, आर्मेनिया के लिए सुखोई-30 MKI एक उपयुक्त विकल्प है। इस विमान की खासियतें हैं की यह राफेल जैसे पश्चिमी विमानों की तुलना में सस्ता है। भारत इसे आर्मेनिया की जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज़ कर सकता है।
इसमें भारत में निर्मित Astra Mk-1 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें फिट की जा सकती हैं। इसके साथ ही BrahMos-A क्रूज मिसाइल भी एक विकल्प है, जो इसे बहुआयामी हमला करने की क्षमता देता है। इस फाइटर जेट की मारक क्षमता और बहुआयामी भूमिका इसे अजरबैजान के JF-17 का प्रभावी प्रतिद्वंद्वी बनाती है।
'व्हाइट एलिफेंट्स' बन चुके पुराने फाइटर जेट
आर्मेनिया फिलहाल जिन सुखोई-30 SM और सुखोई-25 विमानों पर निर्भर है, वे अत्याधुनिक तकनीक और गाइडेड हथियारों से लैस नहीं हैं। 2020 के कराबाख युद्ध के दौरान इन विमानों का प्रभावी उपयोग नहीं हो पाया, जिससे इनकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हुए। यही कारण है कि आर्मेनिया अब अपने रक्षा बेड़े को आधुनिक और प्रभावी बनाना चाहता है।
भारत-अर्मेनिया रक्षा संबंधों की मजबूती
भारत और अर्मेनिया के बीच डिफेंस रिलेशन 2020 के बाद काफी मजबूत हुए हैं। अब तक: अर्मेनिया ने भारत से करीब 2 अरब डॉलर के रक्षा समझौते किए हैं। इसमें आकाश-1एस एयर डिफेंस सिस्टम, पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और अन्य हथियार शामिल हैं।
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