बिहार सरकार ने वंशावली को लेकर जारी किए नए नियम

पटना। बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने वंशावली प्रमाणन की प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया है। यह निर्णय आम जनता को सरकारी योजनाओं का शीघ्र और सुगम लाभ दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या हैं ये नया नियम

पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि वंशावली से संबंधित शपथ पत्र (हलफनामा) यदि किसी विधि द्वारा अधिकृत अधिकारी, जैसे कि नोटरी पब्लिक या ओथ कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो और उसमें वंशावली की तथ्यात्मक घोषणा की गई हो, तो उसे वैध माना जाएगा। इसके लिए कार्यपालक दंडाधिकारी (Executive Magistrate) द्वारा अनिवार्य रूप से प्रमाणित कराना अब आवश्यक नहीं है।

आपको बता दें की सरकार ने अब पंचायत सचिवों को निर्देश दिया गया है कि अगर आवेदक ने वंशावली के लिए आवेदन के साथ नोटरी पब्लिक से प्रमाणित हलफनामा संलग्न किया है, तो वंशावली बनाने की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।

पृष्ठभूमि और आवश्यकता

वर्तमान में बिहार में जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए वंशावली एक अनिवार्य दस्तावेज होती है। लेकिन कई पंचायतों में देखा गया कि वंशावली के लिए आवेदन देने के बाद भी पंचायत सचिव कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाते थे। वे शपथ पत्र के लिए विशेष रूप से कार्यपालक दंडाधिकारी या एसडीओ के प्रमाण पत्र की मांग करते थे, जिससे आवेदकों को अनावश्यक रूप से कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और योजनाओं का लाभ मिलने में देरी होती थी।

निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित

बिहार में अब विभागीय निर्देश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा। अब किसी भी आवेदक से अनावश्यक रूप से कार्यपालक दंडाधिकारी का प्रमाण पत्र मांगना गलत होगा। यदि नोटरी द्वारा प्रमाणित शपथ पत्र दिया गया है, तो वंशावली निर्माण की प्रक्रिया बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाई जानी चाहिए। इस निर्णय से आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में अब आसानी होगी।

0 comments:

Post a Comment