यूपी में 'प्रधान' को कितना फंड मिलता है, कहां तक कर सकते हैं खर्च?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास की रीढ़ माने जाने वाले ग्राम प्रधान को न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, बल्कि उसके पास कई कानूनी अधिकार भी होते हैं। ‘गांव की सरकार’ के रूप में जानी जाने वाली ग्राम पंचायत राज्य की पंचायती राज प्रणाली का सबसे बुनियादी लेकिन सबसे प्रभावी स्तंभ है। आइए विस्तार से जानते हैं कि ग्राम प्रधान के पास क्या अधिकार होते हैं, यह प्रणाली किन अधिनियमों से संचालित होती है, और इसका चुनाव व सैलरी व्यवस्था कैसी है।

ग्राम प्रधान की सैलरी और फंड

ग्राम प्रधान को ₹3,500 से ₹5,000 तक की मासिक सैलरी दी जाती है। इसके अलावा उन्हें ₹15,000 सालाना यात्रा भत्ता भी मिलता है। राज्य वित्त आयोग की सिफारिश पर हर ग्राम पंचायत को वार्षिक फंड दिया जाता है, जिससे विकास कार्य कराए जाते हैं। हालांकि यह फंड ग्राम पंचायत के लिए होता है, न कि प्रधान की व्यक्तिगत कमाई के लिए। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या वित्तीय अनियमितता पाए जाने पर जिलाधिकारी प्रधान का चुनाव रद्द कर सकते हैं।

बता दें की ग्राम प्रधान का बजट ग्राम सभा के आकार, जनसंख्या और विकास की जरूरतों पर निर्भर करता है। एक छोटे गांव में यह बजट दो-तीन लाख रुपये हो सकता है, जबकि एक बड़े गांव में यह 10-15 लाख रुपये तक भी हो सकता है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत, ग्राम सभा का बजट तय होता है। 

ग्राम प्रधान के अधिकार

1 .पेयजल आपूर्ति: गांव के हर घर तक पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था कराना।

2 .सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन: जैसे – प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय योजना, मनरेगा आदि।

3 .साफ-सफाई और स्वच्छता व्यवस्था: गंदगी हटाना, नालियों की सफाई, कूड़ा प्रबंधन आदि का जिम्मा।

4 .निर्णय लेने का अधिकार: ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले किसी मार्ग को बदलना, बंद करना या नया मार्ग बनाना।

5 .गांव के विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन: जैसे – सड़क निर्माण, पुल-पुलिया, लघु सिंचाई योजनाएं, अंत्येष्टि स्थल आदि।

7 .ग्राम सभा की अध्यक्षता: ग्राम सभा गांव की सबसे प्रभावशाली संस्था मानी जाती है, जिसकी बैठक में योजनाओं का अनुमोदन कराया जाता है।

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