बिहार में इन संविदा कर्मियों का दोगुना होगा मानदेय

पटना। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार संविदा रसोइयों को बड़ी सौगात देने की तैयारी में है। राज्य के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील (एमडीएम) योजना के तहत कार्यरत लगभग 2 लाख से अधिक रसोइयों और सहायकों के मानदेय को दोगुना करने की योजना बनाई जा रही है। शिक्षा विभाग इस दिशा में छह अलग-अलग प्रस्तावों पर मंथन कर रहा है।

न्यूनतम ₹3,000 और अधिकतम ₹8,000 तक हो सकता है मानदेय

फिलहाल इन रसोइयों को प्रतिमाह मात्र ₹1650 मानदेय मिलता है, जो 2019 से पहले ₹1250 था। 2019 में ₹250 और फिर ₹150 की वृद्धि के साथ यह राशि बढ़ाई गई थी। अब विभाग द्वारा जो छह प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं, उनमें मानदेय को क्रमशः ₹3,000, ₹4,000, ₹5,000, ₹6,000, ₹7,000 और ₹8,000 करने की संभावना है। सरकार इनमें से किसी एक प्रस्ताव पर मुहर लगा सकती है।

सरकार पर बढ़ेगा 450 से 550 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ

रसोइयों के मानदेय में इस बढ़ोतरी से राज्य सरकार पर हर महीने 450 करोड़ से 550 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में करीब 70 हजार सरकारी स्कूलों में 2 लाख 38 हजार से अधिक रसोइये और सहायक एमडीएम योजना के तहत कार्यरत हैं।

केंद्र और राज्य सरकार का योगदान

मौजूदा व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री मध्याह्न भोजन योजना के तहत रसोइयों को हर महीने ₹1,000 का मानदेय दिया जाता है, जिसमें ₹600 केंद्र सरकार और ₹400 राज्य सरकार देती है। इसके अलावा राज्य सरकार ₹650 प्रति माह टॉप-अप के रूप में दे रही है, जिससे कुल मानदेय ₹1650 होता है।

चुनावी साल में सरकार का बड़ा दांव

विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के लिए राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। रसोइयों की लंबे समय से चली आ रही मानदेय बढ़ोतरी की मांग को देखते हुए यह कदम उनके समर्थन को मजबूत करने में सहायक हो सकता है।

0 comments:

Post a Comment