DNA: जीवन का ब्लूप्रिंट
DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) को जीवन का खाका कहा जाता है। यह अणु हर व्यक्ति की विशिष्ट आनुवंशिक जानकारी को संजोकर रखता है। किसी भी मनुष्य के बालों का रंग, आंखों की बनावट, त्वचा की बनावट, बौद्धिक क्षमताएं और यहां तक कि रोग प्रतिरोधक क्षमता तक, सब कुछ DNA पर निर्भर करता है।
शुक्राणु: DNA का वाहक
जब एक पुरुष का वीर्य अंडाणु से मिलता है, तो शुक्राणु अंडाणु के साथ अपना DNA साझा करता है। यही DNA बच्चे के जेनेटिक निर्माण की नींव बनाता है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि एक स्वस्थ शुक्राणु में 23 क्रोमोसोम होते हैं, जो महिला के अंडाणु के 23 क्रोमोसोम्स से मिलकर एक नया जीवन बनाते हैं — 46 क्रोमोसोम्स वाला एक पूर्ण कोशिका।
पिता की भूमिका सिर्फ जैविक नहीं, आनुवंशिक भी
यह तथ्य सिर्फ जैविक विज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। वीर्य में मौजूद DNA यह तय करता है कि संतान किन गुणों को विरासत में पाएगी। यही कारण है कि कई मामलों में डीएनए परीक्षण पिता की पहचान के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
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