हिन्दू धर्म के अनुसार, सावन मास में इस पंचाक्षरी मंत्र का 108 बार जाप करने से भगवान शिव 108 प्रकार के वरदान प्रदान करते हैं। यह प्रयोग न केवल साधना का एक सरल माध्यम है, बल्कि जीवन में शांति, सुख, और सिद्धि का द्वार भी खोलता है।
क्या है पंचाक्षरी मंत्र?
“ॐ नमः शिवाय” — यह मंत्र पांच अक्षरों से बना है और शिव के पंचतत्व रूपों का प्रतीक है। 'ॐ' ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है। 'नमः' का अर्थ है समर्पण और 'शिवाय' अर्थात शिव को। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि यह मंत्र ब्रह्मांड के हर प्राणी के लिए फलदायक है। यह न केवल सांसारिक दुखों को हरता है बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।
सावन में इस तरह करें जाप
विशेषज्ञों और पंडितों की राय के अनुसार, सावन में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप इस विधि से करें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शिवलिंग या शिव की तस्वीर के सामने दीप जलाएं। रुद्राक्ष की माला से 108 बार मंत्र जाप करें। जल, दूध या पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। यह प्रक्रिया पूरे सावन मास तक प्रतिदिन करें।
108 वरदान: जीवन के हर क्षेत्र में लाभ
शिवपुराण में वर्णित है कि सावन में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति को 108 तरह के दिव्य वरदान प्राप्त हो सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं: मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि, वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति, शत्रु नाश, कर्मबंधन से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति। यह मंत्र न केवल कर्मों का क्षय करता है, बल्कि वर्तमान जीवन को भी सफल बनाता है।
शिव को क्यों प्रिय है सावन?
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने इस संसार की रक्षा हेतु पी लिया था। तभी से उनका गला नीला पड़ गया और वे 'नीलकंठ' कहलाए। यह घटना सावन में घटी थी, इसलिए यह महीना शिव को अत्यंत प्रिय है। इसीलिए सावन में शिव की साधना को विशेष पुण्यदायक और फलदायक माना गया है।
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