स्मार्ट मीटर पर सख्ती क्यों?
ऊर्जा विभाग का कहना है कि यह कदम बिजली खपत के सटीक आकलन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। स्मार्ट मीटर से न केवल बिजली की खपत का सही आंकड़ा मिलेगा, बल्कि इससे बिलिंग सिस्टम को भी अधिक सुव्यवस्थित किया जा सकेगा। पावर कॉरपोरेशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्मार्ट मीटर लग जाने के बाद भी कर्मचारियों को मिलने वाली सब्सिडी और रियायतें पूर्ववत बनी रहेंगी। इसका उद्देश्य केवल उपभोग का ईमानदारी से मूल्यांकन करना है।
कर्मचारियों का विरोध और नाराजगी
हालांकि, यह फैसला कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है। सोमवार को नाराज कर्मचारियों ने दो मुख्य अभियंताओं का घेराव कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि इस तरह की शर्तों को जबरदस्ती थोपना गलत है और यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
कर्मचारियों की एक बड़ी चिंता यह भी है कि स्मार्ट मीटर के जरिए खपत का आकलन बढ़ाकर उनके बिजली बिल में इजाफा हो सकता है। हालांकि विभाग ने स्पष्ट किया है कि छूट और सीमित दरों की व्यवस्था यथावत बनी रहेगी, फिर भी असंतोष का माहौल बना हुआ है।
20,000 से अधिक सरकारी आवास
यूपी में ऊर्जा विभाग के पास करीब 20,000 से अधिक सरकारी आवास हैं, जो विभागीय कर्मचारियों को आवंटित किए जाते हैं। इन सभी में स्मार्ट मीटर लगाए जाने की योजना है। यह पहल यदि सफल होती है, तो सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जाएगा।
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