जेट इंजन किसी भी आधुनिक फाइटर जेट या कमर्शियल एयरक्राफ्ट का 'दिल' होता है। इसकी टेक्नोलॉजी इतनी जटिल और संवेदनशील होती है कि इसे विकसित करना किसी भी देश के लिए दशकों का काम होता है। यही वजह है कि दुनिया के 190 से अधिक देशों में से सिर्फ पाँच देश ही इस तकनीक में आत्मनिर्भर हैं।
कौन-कौन से हैं ये देश?
1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
अमेरिका जेट इंजन तकनीक का अग्रणी देश है। GE Aviation, Pratt & Whitney और Honeywell जैसी कंपनियाँ दुनिया के सबसे शक्तिशाली और भरोसेमंद जेट इंजन बनाती हैं। F-22 Raptor और F-35 जैसे फाइटर जेट इन्हीं इंजनों से लैस हैं।
2. रूस
रूस की कंपनी United Engine Corporation (UEC) और Klimov फाइटर जेट्स के लिए एडवांस इंजन बनाती हैं। Sukhoi और MiG सीरीज के जेट इन्हीं इंजनों पर निर्भर करते हैं। रूस की इंजन टेक्नोलॉजी को पुराने दौर से ही युद्धक क्षमता के लिए विश्वसनीय माना जाता है।
3. फ्रांस
फ्रांस की कंपनी Safran (सहयोग में GE के साथ CFM International) जेट इंजन निर्माण में अग्रणी है। राफेल फाइटर जेट का इंजन – M88 – पूरी तरह फ्रांस में डिज़ाइन और डेवलप किया गया है। फ्रांस अपनी तकनीक को साझा करने में सतर्क रहता है।
4. ब्रिटेन
ब्रिटेन की Rolls-Royce कंपनी सिर्फ लक्ज़री कारों के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि यह विश्व के बेहतरीन जेट इंजनों में से एक बनाती है। Eurofighter Typhoon के EJ200 इंजन और Trent सीरीज के कमर्शियल इंजन दुनियाभर में इस्तेमाल किए जाते हैं।
5. चीन
हाल के वर्षों में चीन ने बड़ी छलांग लगाई है। हालांकि उसने लंबे समय तक रूसी इंजनों पर निर्भरता दिखाई, लेकिन अब वह WS-10 और WS-15 जैसे स्वदेशी इंजन बना चुका है। इनका उपयोग J-10 और J-20 जैसे फाइटर जेट्स में किया जा रहा है। फिर भी चीन की इंजन टेक्नोलॉजी अब भी पश्चिमी देशों से पीछे मानी जाती है।
भारत कहाँ है इस दौड़ में?
भारत अभी पूरी तरह से जेट इंजन नहीं बना पाया है, लेकिन GTRE द्वारा विकसित किया गया 'कावेरी इंजन' इस दिशा में एक बड़ा प्रयास है। हालांकि यह इंजन अब तक लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुआ है, फिर भी भारत इसमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल और विदेशी साझेदारों के साथ तकनीकी सहयोग इस क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
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