क्या है यह नया निगम?
यह निगम कम्पनीज एक्ट-2013 के सेक्शन-8 के तहत एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसे लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि सेवा आधारित मॉडल के तहत नॉन-प्रॉफिट संस्था की तरह चलाया जाएगा। इसका मुख्य कार्य यह होगा कि राज्य के विभिन्न विभागों और संस्थाओं में आवश्यक आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए एजेंसियों का चयन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाए।
अब तक विभाग खुद एजेंसियों से सेवाएं लेते थे, जिससे भ्रष्टाचार, देरी और मानदेय की कटौती जैसी समस्याएं सामने आती थीं। नया निगम GEM पोर्टल के माध्यम से एजेंसियों का चयन करेगा, जिससे पूरी प्रक्रिया अधिक जवाबदेह और पारदर्शी हो सकेगी।
कर्मचारियों को क्या लाभ मिलेगा?
तीन साल का निश्चित कार्यकाल: नए मॉडल में आउटसोर्स कर्मचारियों का चयन तीन वर्षों के लिए किया जाएगा, जिससे उन्हें कार्य में स्थिरता मिलेगी।
मानदेय की गारंटी: कर्मचारियों को ₹16,000 से ₹20,000 तक मासिक मानदेय तय किया गया है। इसका भुगतान अब सीधा और ट्रैक करने योग्य माध्यम से होगा, जिससे एजेंसियों द्वारा की जाने वाली कटौती रोकी जा सकेगी।
EPF और ESI की सुरक्षा: अब EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) और ESI (कर्मचारी राज्य बीमा) जैसी अनिवार्य सुविधाएं भी कर्मचारियों को समय पर मिलेंगी, जिनकी निगरानी निगम द्वारा की जाएगी।
क्यों जरूरी था यह कदम?
प्रदेश में लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी न सिर्फ कम वेतन पर काम कर रहे थे, बल्कि कई बार उन्हें उनके अधिकार भी नहीं मिल पा रहे थे। ईपीएफ और ईएसआई का नियमित भुगतान न होने से उनका भविष्य असुरक्षित बना रहता था। कई बार एजेंसियां कर्मचारियों का मानदेय दबा लेती थीं या अनधिकृत कटौती करती थीं। इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए सरकार ने इस निगम का गठन करने का फैसला लिया।
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