अब नहीं लगेगा संपत्ति के मूल्य पर प्रतिशत आधारित शुल्क
अब तक पैतृक संपत्ति के बंटवारे (डिवीजन डीड) पर स्टांप ड्यूटी संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर लगती थी, जो कि बांड डीड की तरह लगभग 4% होती थी। साथ ही निबंधन शुल्क भी 1% देना पड़ता था। इससे यह प्रक्रिया आम परिवारों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन जाती थी। इसी वजह से अधिकतर लोग लिखित विभाजन से बचते थे, जिससे बाद में परिवारों में कानूनी विवाद खड़े हो जाते थे।
सरकार का उद्देश्य: विवाद घटाना, न्यायालयों पर बोझ कम करना
सरकार का मानना है कि यदि संपत्ति के बंटवारे को आसान और सस्ता बनाया जाए, तो लोग स्वेच्छा से इसे लिखित रूप में दर्ज कराएंगे। इससे पारिवारिक झगड़े और कानूनी लड़ाइयाँ कम होंगी और राजस्व तथा दीवानी न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ भी घटेगा।
चार पीढ़ियों तक की संपत्ति पर लागू होगा नया नियम
यह नई व्यवस्था चार पीढ़ियों तक की किसी भी मूल्य की पैतृक संपत्ति के लिए लागू होगी। इसका अर्थ है कि दादा-परदादा की संपत्ति को भी वंशजों के बीच आसान प्रक्रिया से बांटा जा सकेगा। हालांकि यह छूट केवल उन्हीं मामलों में लागू होगी जहां सभी पक्ष एक ही मृतक व्यक्ति के वंशज (सह-स्वामी) हों।
शासनादेश जल्द, लोगों को मिलेगा त्वरित लाभ
स्टांप एवं निबंधन विभाग से जुड़ा यह प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूरी पा चुका है और जल्द ही इसका शासनादेश जारी किया जाएगा। इसके बाद नागरिक 10,000 रुपये की तय राशि में पक्की लिखा-पढ़ी के जरिए अपनी पैतृक संपत्ति का बंटवारा कर सकेंगे।
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