विवाद की जड़ यह है कि अधिकांश एडेड कॉलेजों के शिक्षक सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते, ऐसे में उनसे संपत्ति का विवरण मांगा जाना असंगत माना जा रहा है। वहीं, शादी से जुड़े दस्तावेज जैसे विवाह प्रमाणपत्र, पत्नी और बच्चों की जानकारी, और उनके दस्तावेज भी अपलोड करने को कहा गया है। शिक्षकों का कहना है कि पहले कभी इस तरह की जानकारियां नहीं मांगी गई थीं।
जानकारी न देने पर सैलरी रोकने की चेतावनी
उच्च शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि यदि 15 मई तक आवश्यक जानकारियां समर्थ पोर्टल पर नहीं भरी गईं, तो संबंधित शिक्षकों का वेतन रोक दिया जाएगा। प्रदेश के 36 ऐसे डिग्री कॉलेज हैं जहां अभी तक एक भी शिक्षक का लॉगिन तक नहीं बन पाया है। ऐसे संस्थानों को भी विभाग द्वारा चेतावनी दी गई है।
प्रोन्नति की प्रक्रिया में बाधा
प्रदेशभर में लगभग 1500 शिक्षकों की प्रोन्नति की जानी है, लेकिन यह पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया पर निर्भर है। शिक्षकों से करियर और निजी जीवन से जुड़ी विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है, जिससे प्रोन्नति प्रक्रिया जटिल हो गई है। लुआक्टा (LUACTA) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा है कि यह दस्तावेज पहले कभी नहीं मांगे गए और फार्म को सरल करने की आवश्यकता है।
पीएचडी शिक्षकों के लिए अलग नियम
प्रोन्नति की प्रक्रिया में पीएचडी और नॉन-पीएचडी शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियम हैं। पीएचडी धारक शिक्षकों को चार वर्षों की सेवा के बाद अगला ग्रेड मिलता है, जबकि नॉन-पीएचडी को छह साल की सेवा के बाद। इसी तरह, असिस्टेंट प्रोफेसर से प्रोफेसर तक की पदोन्नति भी विभिन्न ग्रेड पे के आधार पर तय होती है।
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