भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल: आवाज से 21 गुना तेज!

नई दिल्ली। भारत अपनी सैन्य ताकत को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाने की तैयारी में है, जहां सिर्फ कुछ गिने-चुने देश ही खड़े हो सकते हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया जा रहा हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) न केवल भारत की सुरक्षा क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन पर भी असर डालेगा।

हाइपरसोनिक गति: ध्वनि से 21 गुना तेज

यह HGV कोई साधारण मिसाइल नहीं है। यह ध्वनि की गति (Mach 1) से 21 गुना तेज, यानी लगभग 25,900 किलोमीटर प्रति घंटा की अविश्वसनीय रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। इस गति पर कोई भी पारंपरिक डिफेंस सिस्टम इसे रोक पाने में सक्षम नहीं होगा। यही इसे एक गेम-चेंजर हथियार बनाता है।

DRDO की अगली पीढ़ी की तकनीक

इस प्रोजेक्ट को हैदराबाद स्थित DRDO की एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी में विकसित किया जा रहा है। हाल ही में केरल स्पेसपार्क के शिलान्यास समारोह में एक पूर्व ब्रह्मोस वैज्ञानिक ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी अहम जानकारियां साझा कीं। यह हथियार भारत की स्वदेशी तकनीकी क्षमता और रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। DRDO इस प्रोजेक्ट में IISc बेंगलुरु जैसे वैज्ञानिक संस्थानों और निजी रक्षा उद्योग के साथ मिलकर कार्य कर रहा है, जिससे यह भारत में वैज्ञानिक सहयोग और रक्षा उत्पादन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है।

5,500 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता

HGV की सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार और रेंज का घातक संयोजन है। इसकी अनुमानित मारक क्षमता 5,500 किमी से अधिक होगी। यानी यह हथियार भारत से लॉन्च होकर एशिया के लगभग हर कोने, यहां तक कि यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों तक भी पहुंच सकता है। यह पारंपरिक (conventional) और परमाणु (nuclear) दोनों प्रकार के वॉरहेड्स को ढोने में सक्षम है। इसका मतलब है कि यह किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को तगड़ा जवाब दे सकता है।

डिफेंस सिस्टम को चकमा देने वाली तकनीक

पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलें एक निर्धारित मार्ग पर चलती हैं, जिससे उन्हें ट्रैक और इंटरसेप्ट करना अपेक्षाकृत आसान होता है। लेकिन HGV को एक बूस्टर रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाता है और फिर यह वायुमंडल में कम ऊंचाई पर ग्लाइड करता है। यह ग्लाइडिंग तकनीक इसे अप्रत्याशित बनाती है — यह मिसाइल अपने रास्ते में तेजी से दिशा बदल सकती है, जिससे दुश्मन का एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसके सामने लगभग बेअसर हो जाता है।

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