राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य मुफ्त राशन वितरण प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। खाद्य आयुक्त रणवीर प्रसाद ने जानकारी दी कि “हम सिस्टम को पारदर्शी और लाभार्थी केंद्रित बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। यह नया फीडबैक तंत्र उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
हर माह होगी लाभार्थियों से बातचीत
प्रदेश में 15.23 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है, जिसमें 64.43 प्रतिशत शहरी और 79.53 प्रतिशत ग्रामीण आबादी शामिल है। अब इन लाभार्थियों से हर महीने फोन के माध्यम से पांच सवाल पूछे जाएंगे, जैसे: क्या उन्हें पूरा राशन मिल रहा है? कोटेदार का व्यवहार कैसा है? वितरण में कोई गड़बड़ी तो नहीं है? क्या कोई असुविधा हो रही है? योजना से वे कितने संतुष्ट हैं?
ये कॉल इंसानों द्वारा नहीं, बल्कि एक एआई-आधारित वॉइस सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएंगी। खास बात यह है कि हर कोटेदार के क्षेत्र से चयनित कुछ लाभार्थियों को हर महीने कॉल की जाएगी, और यह चयन भी सॉफ्टवेयर का एआई मॉड्यूल खुद तय करेगा।
शिकायतों का समाधान भी होगा सुनिश्चित
लाभार्थियों से प्राप्त शिकायतों या सुझावों को खाद्य विभाग गंभीरता से लेकर समय पर हल करेगा। इससे जहां लाभार्थियों को वास्तविक लाभ मिलेगा, वहीं गड़बड़ी करने वाले कोटेदारों पर भी शिकंजा कसेगा। इसको लेकर तैयारी की जा रही हैं।
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