राजस्व परिषद द्वारा शुरू की गई इस नई व्यवस्था का उद्देश्य भूमि संबंधी विवादों को कम करना और अंश सुधार की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सरल बनाना है। पहले एक खाता संख्या में कई गाटा नंबर और काश्तकार होने के कारण खतौनी में अंश स्पष्ट नहीं होते थे, जिससे विवादों की संभावना बढ़ जाती थी।
अब हर गाटा नंबर के लिए अलग खतौनी होगी, जिसमें संबंधित खातेदार का अंश स्पष्ट रूप से दर्ज रहेगा। इससे काश्तकारों और खातेदारों के बीच अंश के विवाद खत्म होने की उम्मीद है। यदि आप खतौनी में अंश त्रुटि की सुधार करना चाहते हैं तो आवेदन कर सकते हैं।
प्रक्रिया इस प्रकार है:
जब लेखपाल को खतौनी में अंश से जुड़ी कोई त्रुटि मिलेगी, वह इसे पोर्टल पर दर्ज करेगा। इसके बाद लेखपाल स्थलीय जांच और अभिलेखीय जांच करेगा। इस प्रक्रिया में सभी सह-खातेदारों की सहमति अनिवार्य है, इसलिए उन्हें सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर या अंगूठा निशान करना होगा। जांच पूरी होने के बाद राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार मामले की समीक्षा करेंगे और फिर खतौनी में आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
इस नई ऑनलाइन सुविधा से किसानों को अपने खतौनी अंश में सुधार के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऑनलाइन आवेदन करने से समय और मेहनत दोनों की बचत होगी। राजस्व परिषद की वेबसाइट पर इस सेवा का उपयोग करने वाले किसान अपने आवेदन की प्रगति भी ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं। इसके साथ ही, सहायता और जानकारी के लिए संबंधित हेल्पलाइन और निर्देश भी पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
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