क्या है नया बदलाव?
बिजली कंपनी ने अब यह निर्णय लिया है कि जैसे ही कोई क्षेत्र नगर निकाय घोषित होगा, वहां के उपभोक्ताओं को शहरी बिजली दरों के अनुसार बिल देना होगा। अभी तक कई ऐसे इलाके हैं जो नगर निकाय घोषित तो हो चुके हैं, लेकिन वहां अब भी ग्रामीण दरों पर बिजली बिल लिया जा रहा है। इसका मुख्य कारण तकनीकी समस्याएं हैं, जैसे एक ही फीडर से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को बिजली मिलना, या बिलिंग के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर का उपयोग।
शहरी दरें बनाम ग्रामीण दरें: क्या है अंतर?
ग्रामीण उपभोक्ताओं की तुलना में शहरी उपभोक्ताओं को हर यूनिट पर औसतन 1.67 रुपये ज्यादा देना होगा। हालांकि, इस बढ़े हुए शुल्क के साथ उन्हें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलेंगी: 24 घंटे बिजली आपूर्ति, ट्रांसफार्मर खराब होने पर 24 घंटे में बदलाव, बिजली खराबी की तुरंत शिकायत के लिए कंट्रोल रूम, समयबद्ध सुधार और सेवा की गारंटी।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
राजस्व वृद्धि: शहरी दरों के लागू होने से बिजली कंपनी की आमदनी बढ़ेगी, जिससे बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार करना संभव होगा।
समानता और पारदर्शिता: जब कोई क्षेत्र शहरी घोषित हो चुका है, तो वहां ग्रामीण दरों पर बिल लेना अनियमितता को जन्म देता है। नई व्यवस्था पारदर्शिता लाएगी।
बेहतर सेवाएं: बिजली कंपनी अब उन क्षेत्रों में भी शहरी सेवाओं की तरह काम करेगी – जिससे आम लोगों को बेहतर सुविधा और जवाबदेही मिलेगी।
0 comments:
Post a Comment