बिहार में बनेंगे सैटेलाइट टाउन: बसेगा ग्रेटर पटना

पटना। बिहार राज्य में अब शहरी विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। नीतीश सरकार द्वारा मंज़ूर की गई लैंड पुलिंग पॉलिसी (Land Pooling Policy) के माध्यम से राज्य के प्रमुख शहरों में सैटेलाइट टाउनशिप (Satellite Township) विकसित की जाएगी। यह पहल खास तौर पर राजधानी पटना के भविष्य को ध्यान में रखते हुए की गई है, जिसमें ग्रेटर पटना (Greater Patna) के सुनियोजित विकास की रूपरेखा तैयार की गई है।

लैंड पुलिंग पॉलिसी: विकास का आधार

बिहार में यह पहली बार है जब लैंड पुलिंग मॉडल को अपनाया गया है। इस नीति के अंतर्गत निजी ज़मीनों को समेकित कर उनका विकास किया जाएगा और फिर एक निश्चित प्रतिशत भूमि मालिकों को लौटा दी जाएगी।

नई नीति के अनुसार: 55% भूमि विकसित कर मालिकों को वापस दी जाएगी। 22% भूमि सड़क निर्माण के लिए आरक्षित होगी। 3% भूमि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आवास योजनाओं के लिए रखी जाएगी। 5% भूमि पार्क, खेल के मैदान और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए इस्तेमाल होगी। शेष 15% भूमि सरकार अपने पास रखेगी, जिसका उपयोग भविष्य की योजनाओं के लिए किया जाएगा।

यह नीति केवल बुनियादी ढांचे के विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ज़मीन मालिकों और आम जनता दोनों के लिए लाभकारी साबित होगी। ज़मीन लौटाने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और इससे बिचौलियों की भूमिका भी कम होगी।

ग्रेटर पटना: एक भविष्यवादी सोच

राजधानी पटना की बढ़ती आबादी और शहरीकरण को देखते हुए ग्रेटर पटना की योजना तैयार की गई है। इसके तहत पटना के चार अनुमंडलों के 14 प्रखंडों को शामिल किया जाएगा, जिनमें फुलवारीशरीफ, दानापुर, बिहटा, नौबतपुर, मसौढ़ी, संपतचक जैसे इलाके प्रमुख हैं।

यह इलाका साल 2050 तक की जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखकर विकसित किया जाएगा, जिसमें आवासीय क्षेत्र, वाणिज्यिक केंद्र, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं, हरित क्षेत्र और खेल सुविधाएं शामिल होंगी। यह पहल न केवल राजधानी के विस्तार को संतुलित बनाएगी, बल्कि पटना को एक स्मार्ट सिटी की दिशा में ले जाएगी।

क्यों है यह नीति महत्वपूर्ण?

असंगठित विकास पर लगाम: अब तक बिहार के कई शहर बिना योजना के बढ़ते रहे हैं। यह नीति उस प्रवृत्ति को रोकने का माध्यम बनेगी।

निजी और सार्वजनिक भागीदारी: ज़मीन मालिकों को भी योजनाओं में हिस्सेदार बनाया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।

सुव्यवस्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर: सुनियोजित सड़कों, हरित क्षेत्रों और सुविधाओं के माध्यम से शहरों का चेहरा बदलेगा।

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