यूपी में पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यता: जानिए कौन बन सकता है ‘प्रधान’?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव अगले साल होंगे। लेकिन, भले ही अब तक इन चुनावों की आधिकारिक तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक माहौल धीरे-धीरे गर्माने लगा है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ग्राम प्रधान जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए कौन-कौन चुनाव लड़ सकता है, और इसके लिए क्या योग्यताएँ जरूरी हैं।

ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की मुख्य योग्यताएं:

1. भारतीय नागरिकता अनिवार्य:

उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।

2. पंचायत की मतदाता सूची में नाम:

जिस ग्राम पंचायत से चुनाव लड़ना है, उस पंचायत की वोटर लिस्ट में उम्मीदवार का नाम होना जरूरी है।

3. न्यूनतम आयु 21 वर्ष:

उम्मीदवार की उम्र नामांकन की तिथि तक कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए।

4. मानसिक और आर्थिक स्थिति:

उम्मीदवार मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। किसी अदालत द्वारा पागल या दिवालिया घोषित व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता।

5. अपराधिक पृष्ठभूमि:

उम्मीदवार को किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराकर सजा नहीं दी गई होनी चाहिए।

6. सहकारी समितियों का बकाया:

अगर उम्मीदवार पर सहकारी समिति का कोई कर्ज है, तो उसे नामांकन से पहले चुका देना होगा।

7. नो ड्यूज सर्टिफिकेट:

उम्मीदवार को यह प्रमाणपत्र देना होगा कि उस पर कोई बकाया नहीं है — चाहे वह बिजली बिल हो, पानी का टैक्स या कोई अन्य सरकारी बकाया।

8. जमानत राशि:

नामांकन के साथ एक निश्चित जमानत राशि जमा करनी होती है, जो कि चुनाव आयोग द्वारा तय की जाती है।

9 .पिछली बार का खर्च ब्योरा:

जो उम्मीदवार पिछले चुनाव में खड़े हुए थे और उन्होंने अपने चुनावी खर्च का ब्योरा नहीं दिया है, उन्हें इस बार अयोग्य ठहराया जा सकता है।

10 .आरक्षण की व्यवस्था:

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में सीटों का आरक्षण निम्न वर्गों के लिए तय किया जाता है: सामान्य वर्ग (General), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है, तो केवल ओबीसी वर्ग की महिला ही वहां से चुनाव लड़ सकती है। इस प्रकार आरक्षण न केवल जाति बल्कि लिंग के आधार पर भी लागू होता है।

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