रडार के लिए अदृश्य
F-22 की खास बात इसकी "लो ऑब्ज़र्वेबल टेक्नोलॉजी" है, जो इसे रडार की पकड़ से लगभग बाहर कर देती है। इसकी बनावट, एंगल्ड सरफेस और खास कोटिंग रडार वेव्स को अवशोषित या दूर मोड़ देती है, जिससे यह दुश्मन की नजरों से ओझल बना रहता है।
एयरफ्रेम डिज़ाइन और मटीरियल
F-22 का निर्माण अत्याधुनिक रडार-एब्जॉर्बिंग मटीरियल (RAM) से हुआ है। इसकी बॉडी में ऐसे कंपोज़िट्स का इस्तेमाल किया गया है जो न केवल हल्के हैं, बल्कि रडार सिग्नल को सोखने में सक्षम हैं। इसके अलावा इसका डिज़ाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि यह रडार वेव्स को सीधा वापस नहीं भेजता।
थर्मल और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर न्यूनतम
F-22 न केवल विजुअल और रडार सिग्नल से बचा रहता है, बल्कि इसका थर्मल सिग्नेचर भी काफी कम है। इसके इंजन afterburner के बिना भी सुपरसोनिक गति प्राप्त कर सकते हैं (supercruise), जिससे यह बिना तेज गर्मी के उड़ान भर सकता है।
तकनीक पर अमेरिका की सख्त पकड़
F-22 रैप्टर की स्टील्थ तकनीक इतनी संवेदनशील और एडवांस्ड है कि अमेरिका ने इसे कभी किसी अन्य देश को निर्यात नहीं किया। यही कारण है कि आज भी यह विमान केवल यू.एस. एयरफोर्स के पास है। अमेरिका ने 1998 में ही इसका निर्यात प्रतिबंधित कर दिया था, जिससे इसकी तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित बनी रही।
बाकी देशों के जेट्स इससे पीछे क्यों हैं?
चीन का J-20 या रूस का Su-57 जैसे फाइटर जेट्स भी स्टील्थ क्षमताओं के दावे करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनकी तकनीक अभी F-22 जितनी परिपक्व नहीं है। इन विमानों की रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) अपेक्षाकृत ज्यादा है, जिससे उन्हें पूरी तरह अदृश्य नहीं कहा जा सकता।
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