चार मिसाइल सुपरपावर: वैश्विक ताकत की पहचान
अमेरिका और रूस के पास आईसीबीएम (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) और एमआईआरवी (मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल) जैसी अत्याधुनिक मिसाइलें हैं, जो परमाणु हथियारों को एक ही मिसाइल से कई लक्ष्य पर दागने में सक्षम हैं। चीन ने हाल के वर्षों में अपनी डीएफ-41 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के जरिए अपनी ताकत बढ़ाई है। वहीं भारत की परमाणु सक्षम मिसाइलें भी उसके सुरक्षा कवच का अहम हिस्सा हैं।
भारत की मिसाइल यात्रा: प्रगति और चुनौतियां
भारत ने भी अपनी मिसाइल तकनीक में बड़ा विकास किया है। अग्नि-5 जैसी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल, ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, और हाल ही में परीक्षण की गई हाइपरसोनिक मिसाइल इसके उदाहरण हैं। ये मिसाइलें भारत की रणनीतिक ताकत को बढ़ाने में मदद कर रही हैं।
फिर भी, अगर हम वैश्विक संदर्भ में देखें, तो भारत की मिसाइल तकनीक अभी भी कुछ क्षेत्रों में पीछे है। मिसाइलों की संख्या, MIRV तकनीक की पूर्ण क्षमताएं, और परमाणु-सक्षम पनडुब्बी लॉन्चर प्लेटफॉर्म जैसे क्षेत्रों में भारत को सुधार की जरूरत है। हालांकि भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा हैं।
आत्मनिर्भर भारत और मिसाइल विकास
भारत ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत मिसाइल विकास को बढ़ावा दिया है। ब्रह्मोस मिसाइल का संयुक्त विकास भारत-रूस सहयोग का सफल उदाहरण है। साथ ही, स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि श्रृंखला मिसाइलों के परीक्षण ने रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) लगातार नई मिसाइल प्रणालियों पर काम कर रहा है, जिससे भारत आने वाले वर्षों में और मजबूत बनेगा।
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