केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी: सरकार ने दी राहत!

नई दिल्ली। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए Central Government Health Scheme (CGHS) चलाती है। हाल ही में, इस योजना में 5 बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका मकसद सेवा को अधिक डिजिटल, आसान और पारदर्शी बनाना है। इन बदलावों का सीधा लाभ केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके परिवारों को मिलेगा। आइए जानते हैं इन प्रमुख बदलावों के बारे में विस्तार से।

1. मोबाइल ऐप से इलाज की सुविधा

स्वास्थ्य मंत्रालय ने CGHS के लिए एक नया मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप के जरिए लाभार्थी अब घर बैठे ही डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी। OPD की डिजिटल स्लिप और रिपोर्ट ऐप पर ही मिल जाएगी। CGHS कार्ड भी डिजिटली डाउनलोड किया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल फीस ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध है। यह ऐप पूरी तरह फ्री है और इसका उद्देश्य लाभार्थियों को सुविधा देना है।

2. पैन कार्ड से लिंक होगी यूनिक हेल्थ ID

अब CGHS लाभार्थियों को एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जो पैन कार्ड से लिंक होगी। इससे पूरे परिवार का मेडिकल रिकॉर्ड एक जगह पर डिजिटल रहेगा। बार-बार डॉक्युमेंट दिखाने की जरूरत नहीं होगी। रिन्यूअल के समय पुराने रिकॉर्ड ढूंढने की झंझट खत्म। इससे धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा रोकने में भी मदद मिलेगी

3. रेफरल नियमों में छूट

अब 70 साल या उससे अधिक उम्र के CGHS पेंशनर्स को विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलने के लिए रेफरल की जरूरत नहीं होगी। पहले यह सीमा 75 वर्ष थी। प्राइवेट अस्पतालों के लिए रेफरल की वैलिडिटी अब 3 महीने तक कर दी गई है। इससे बुजुर्ग मरीजों को बार-बार रेफरल लेने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा

4. मेडिकल डिवाइसेज़ की ऑनलाइन मंजूरी

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, CPAP मशीन जैसी जरूरी मेडिकल डिवाइस के लिए अब ऑनलाइन आवेदन और मंजूरी की सुविधा दी गई है। पहले यह प्रक्रिया वेलनेस सेंटर जाकर पूरी करनी होती थी। मंजूरी मिलने में 20 दिन लगते थे, अब सिर्फ 5 दिन में अप्रूवल मिल सकता है। इससे समय की बचत और सुविधा दोनों मिलेगी। 

5. SMS और ईमेल पर मिलेगी हर अपडेट

CGHS से जुड़ी हर प्रक्रिया जैसे – आवेदन, मंजूरी, पेमेंट। अब इनकी जानकारी सीधे लाभार्थी के मोबाइल पर SMS और ईमेल के माध्यम से भेजी जाएगी। इसके लिए HMIS पोर्टल पर वन टाइम रजिस्ट्रेशन करना होगा और अलर्ट की सुविधा को एक्टिवेट करना होगा। इससे लाभार्थी को बार-बार दफ्तर जाने या हेल्पलाइन पर कॉल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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