बच्चों की नींव को मजबूत करने की कोशिश
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मकसद प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाई की पद्धति को और प्रभावशाली बनाना है, ताकि बच्चे पढ़ने, लिखने और गणना जैसे मूल कौशलों में दक्ष बन सकें। एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम के आधार पर यह प्रशिक्षण तैयार किया गया है, जिसमें स्थानीय कहानियों, गतिविधि आधारित शिक्षण और छात्र-केंद्रित पद्धति को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।
भाषा और गणित पर विशेष ध्यान
शिक्षकों को खास तौर पर भाषा और गणित के बुनियादी कौशल जैसे — स्पष्ट बोलना, ध्वनियों की पहचान, पढ़ने की आदत, समझने की क्षमता, गणना प्रक्रियाएं — इन सभी पर प्रभावी ढंग से कार्य करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए उन्हें प्रायोगिक शिक्षण सामग्री और व्यवस्थित अभ्यास तकनीकें भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
आकलन आधारित शिक्षा पर जोर
शिक्षकों को आकलन आधारित शिक्षण की ट्रेनिंग भी दी जाएगी जिसमें शामिल हैं: स्पॉट मूल्यांकन, फॉर्मेटिव टेस्ट, समेकित मूल्यांकन, पुनरावृत्ति योजनाएं। इन सभी तकनीकों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर छात्र की समझ का समय-समय पर मूल्यांकन हो और आवश्यकता अनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।
मास्टर ट्रेनर्स देंगे प्रशिक्षण
प्रशिक्षण की जिम्मेदारी राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स को सौंपी गई है। प्रशिक्षण से पहले और बाद में टेस्ट भी लिए जाएंगे ताकि यह देखा जा सके कि इसका प्रभाव कितना पड़ा। डिजिटल माध्यमों जैसे यूट्यूब सेशन, व्हाट्सएप ग्रुप्स, और संकुल बैठकों के जरिए भी जानकारी और सामग्री साझा की जाएगी।
क्या है जीआरआर मॉडल?
प्रशिक्षण में ‘ग्रेजुअल रिलीज ऑफ रिस्पांसिबिलिटी (GRR) मॉडल’ को समझाया जाएगा। इसमें शिक्षक पहले खुद उदाहरण देते हैं, फिर बच्चों को निर्देशित करते हैं और अंत में उन्हें स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने देते हैं। यह तरीका छात्रों की सीखने की गति और आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
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