शुक्राणु और अंडाणु का मिलन
जब यौन संबंध बनता है और पुरुष का वीर्य महिला के गर्भाशय में प्रवेश करता है, तब लाखों शुक्राणु गर्भाशय ग्रीवा से होते हुए फैलोपियन ट्यूब तक पहुँचते हैं। अगर महिला का उस समय ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) हो रहा होता है – यानी अंडाशय से अंडाणु बाहर आया हो – तो शुक्राणु अंडाणु से मिल सकते हैं। यही प्रक्रिया निषेचन (fertilization) कहलाती है।
समय की बात: यह प्रक्रिया मिनटों में शुरू होती है, लेकिन पूरा होने में कई दिन लग सकते हैं। दरअसल यौन संबंध के कुछ ही मिनटों में शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब तक पहुँच सकते हैं। उस समय यदि अंडाणु उपलब्ध है, तो निषेचन कुछ ही घंटों के भीतर हो सकता है। लेकिन गर्भधारण वहीं समाप्त नहीं होता। निषेचित अंडाणु को गर्भाशय में पहुंचकर अपनी दीवार में स्थापित होना होता है, जिससे असली गर्भधारण होता है। यह प्रक्रिया निषेचन के 6 से 10 दिन बाद पूरी होती है।
ओव्यूलेशन का समय है निर्णायक
महिला के मासिक चक्र में केवल कुछ दिन ही ऐसे होते हैं जब गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। इसे फर्टाइल विंडो कहा जाता है – आमतौर पर यह पीरियड्स शुरू होने के लगभग 12 से 16 दिन पहले होता है। यदि इस अवधि में यौन संबंध होता है, तो गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक रहती है।
महिलाएं अपना प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करें?
गर्भधारण का सही पता लगाने के लिए होम प्रेग्नेंसी टेस्ट या रक्त परीक्षण जरूरी होता है। यह टेस्ट आमतौर पर यौन संबंध के 12 से 14 दिन बाद, यानी अगली मासिक धर्म तिथि के बाद किया जाना चाहिए।
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