यूपी में कितनी होती है 'ग्राम प्रधान' की सैलरी? क्या है पावर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को आम भाषा में 'प्रधानी का चुनाव' कहा जाता है। यह चुनाव गांव की सत्ता और विकास की दिशा तय करता है। राज्य में हर पांच साल में ग्राम पंचायतों के चुनाव होते हैं, और आगामी चुनाव 2026 में होंगे लेकिन तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। आरक्षण चार्ट और अधिसूचना का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद चुनावी हलचल और तेज हो जाएगी।

ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है?

उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान को सरकार की ओर से प्रति माह ₹3500 का मानदेय दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें कोई नियमित वेतन या सुविधा नहीं मिलती। यह राशि इतनी कम है कि इसे ‘सैलरी’ कहना भी कई बार उपयुक्त नहीं लगता। हालांकि, इससे यह समझा जा सकता है कि ग्राम प्रधान बनने का पद आर्थिक लाभ के लिए नहीं होता।

ग्राम प्रधान और पंचायत के अधिकार क्या होते हैं?

ग्राम पंचायत को संविधान द्वारा दिए गए कई अधिकार होते हैं, जिससे वह गांव के बुनियादी ढांचे को सुधारने और विकास करने का कार्य करती है। ग्राम प्रधान इन कार्यों का प्रमुख होता है।

1 .खेती के लिए छोटी सिंचाई योजनाएं शुरू करना। 

2 .सड़कों, पुलों, पुलियों का निर्माण और मरम्मत, सार्वजनिक रास्तों को बदलना या बंद करना। 

3 .गांव में झाड़ियों और पेड़ों की कटाई, नाली, शौचालय, मूत्रालय, नलकूप आदि का निर्माण और सफाई, कूड़े और गंदे पानी के निस्तारण की व्यवस्था करना।

4 .पंचायत भवन की देखरेख, गांव के सार्वजनिक स्थलों की मरम्मत और व्यवस्था, ग्राम प्रधान इन सभी कार्यों को ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम सभा के सहयोग से पूरा करता है।

प्रधान बनने की योग्यता क्या है?

ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए सामान्य शर्तें होती हैं: न्यूनतम आयु: 21 वर्ष, भारतीय नागरिकता आवश्यक, मानसिक रूप से कोई दिक्कत न हो इसके अलावा कुछ और भी शर्तें हैं, जैसे: उम्मीदवार के खिलाफ किसी समिति का बकाया न हो, उम्मीदवार सरकार द्वारा निर्धारित आरक्षण नीति के अंतर्गत आता हो, आदि।

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