बिहार में कोचिंग को लेकर नई नियमावली होगी लागू

पटना। बिहार सरकार राज्य में कोचिंग शिक्षा को नियंत्रित और सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित नई कोचिंग नियमावली अब अंतिम रूप लेने को तैयार है। इसे विधि विभाग को भेजा जा चुका है, और वहां से स्वीकृति मिलते ही यह राज्य कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत की जाएगी। अगर सब कुछ समय पर होता है, तो यह नियमावली अगले माह से प्रभावी हो सकती है।

क्यों पड़ी आवश्यकता?

बिहार में कोचिंग संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन इन पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। पहले 2011 में "बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम" लागू किया गया था, लेकिन यह ज़मीनी स्तर पर कारगर सिद्ध नहीं हुआ। 2022 में व्यापक जन सुझाव के बाद 2023 में एक नई नियमावली लायी गई, परंतु उसे लागू नहीं किया जा सका। अब एक सख्त और व्यावहारिक नियमावली तैयार की गई है, जो छात्रों के हितों की रक्षा के साथ-साथ कोचिंग सेक्टर में पारदर्शिता लाएगी।

नई नियमावली के प्रमुख प्रावधान

1 .निबंधन अनिवार्य

बिना निबंधन कोई भी कोचिंग संस्थान संचालित नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए जिलास्तर पर डीएम की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी, जो आधारभूत संरचना, सुविधाएं और सुरक्षा मापदंडों की जांच के बाद निबंधन की अनुमति देगी।

2 .फीस में पारदर्शिता

कोचिंग संस्थानों को अपनी फीस सार्वजनिक करनी होगी। यदि कोई संस्थान मनमानी फीस वसूलता है और उसके विरुद्ध शिकायत मिलती है, तो जांच के बाद उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

3 .सुविधाओं का मानक

छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था अनिवार्य होगी। आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए नियमन समिति निरीक्षण करेगी।

4 .निबंधन पोर्टल

कोचिंग संस्थानों की जानकारी पारदर्शी बनाने के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जिस पर जिलावार निबंधित कोचिंग की सूची, कोर्स, फीस, शिक्षक आदि की जानकारी सार्वजनिक होगी।

5 .सरकारी शिक्षक नहीं पढ़ा सकेंगे कोचिंग में

नियमावली के तहत अब कोई भी सरकारी शिक्षक किसी भी कोचिंग संस्थान में पढ़ा नहीं सकेगा। अगर किसी शिक्षक के विरुद्ध सबूत मिलते हैं, तो शिक्षा विभाग सख्त कार्रवाई करेगा।

6 .स्कूल और कोचिंग संस्थान एक साथ नहीं चल सकते

कोई भी स्कूल या शिक्षण संस्थान अपने परिसर में कोचिंग संस्थान नहीं चला सकता। यह प्रावधान छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा के लिए लाया गया है।

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