हाइपरसोनिक मिसाइल वे हथियार होते हैं जो मैक 5 (ध्वनि की गति से पांच गुना तेज) या उससे अधिक की गति से उड़ान भरते हैं। अमेरिका, रूस और चीन पहले ही इस तकनीक में उल्लेखनीय प्रगति कर चुके हैं, लेकिन भारत की हालिया सफलता इस रणनीतिक हथियार दौड़ में एक नया मोड़ साबित हो सकती है।
DRDO की उपलब्धि
DRDO ने ‘हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल’ (HSTDV) का सफल परीक्षण कर यह सिद्ध किया है कि भारत अब स्वदेशी हाइपरसोनिक प्लेटफॉर्म विकसित करने में सक्षम है। यह तकनीक न केवल मिसाइल क्षेत्र में, बल्कि स्पेस लॉन्च व्हीकल्स और हाई-स्पीड एयरक्राफ्ट निर्माण में भी क्रांति ला सकती है।
इस परीक्षण के जरिए भारत ने यह दिखाया है कि वह आने वाले वर्षों में हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलें बनाने के रास्ते पर मजबूती से अग्रसर है, जो दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को चकमा देने में सक्षम होंगी। भारत जल्द ही हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट कर सकता हैं।
वैश्विक रणनीतिक समीकरणों पर असर
भारत की यह उपलब्धि केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। रूस, अमेरिका और चीन पहले ही हाइपरसोनिक हथियारों को आने वाले युद्धों का भविष्य मानते हैं। अब भारत की इस तकनीक में उपस्थिति एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को नए ढंग से परिभाषित कर सकती है।
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की इस तकनीकी छलांग से चीन और पाकिस्तान जैसे देश सबसे ज्यादा चिंतित हैं। चीन पहले से ही DF-17 जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलों का प्रदर्शन कर चुका है, वहीं अमेरिका हाइपरसोनिक हथियारों पर भारी निवेश कर रहा है। जबकि पाकिस्तान इसमें दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता हैं। वहीं, हाइपरसोनिक तकनीक में रूस सबसे आगे हैं।
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