क्या हैं रैमजेट इंजन, कौन-कौन से देश बनाते हैं?

नई दिल्ली। रैमजेट इंजन आधुनिक रक्षा और अंतरिक्ष प्रणालियों में एक क्रांतिकारी तकनीक है, जो सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक गति पर मिसाइलों तथा विमानों को संचालित करने में सक्षम है। यह इंजन बिना किसी मूविंग पार्ट्स के कार्य करता है और केवल उच्च गति पर ही प्रभावी होता है। रैमजेट तकनीक ने आधुनिक युद्ध प्रणाली को तेज़, सटीक और अधिक घातक बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

रैमजेट इंजन क्या है?

रैमजेट (Ramjet) एक एयर-ब्रीदिंग (air-breathing) जेट इंजन है, जिसका अर्थ है कि यह वातावरण से ही ऑक्सीजन लेकर ईंधन को जलाता है। इसमें पारंपरिक टर्बोफैन या टर्बोजेट इंजनों की तरह टर्बाइन या कंप्रेसर नहीं होते। रैमजेट इंजन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हवा को अत्यधिक वेग से संपीड़ित (compress) करता है और उसे दहन कक्ष में जलाकर जोर (thrust) उत्पन्न करता है। रैमजेट इंजन का उपयोग तभी होता है जब वाहन पहले से तेज़ गति (सुपरसोनिक) से चल रहा हो, क्योंकि स्थिर अवस्था में यह काम नहीं करता।

रैमजेट इंजन बनाने वाले देश

अमेरिका: AIM-260, X-43 जैसे सुपरसोनिक/हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स में रैमजेट और स्क्रैमजेट तकनीक का प्रयोग किया गया है।

रूस: ब्रह्मोस (भारत के साथ मिलकर), और ज़िर्कोन जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों में रैमजेट तकनीक का प्रयोग।

फ्रांस: MBDA कंपनी द्वारा विकसित सुपरसोनिक एयर-टू-सर्फेस मिसाइलों में रैमजेट तकनीक।

चीन: DF-17 और अन्य हाइपरसोनिक वाहनों में रैमजेट और स्क्रैमजेट तकनीक पर कार्यरत।

भारत: DRDO ने ब्रह्मोस मिसाइल (रूस के सहयोग से) रैमजेट तकनीक विकसित किया है।

0 comments:

Post a Comment