भारत को मिलेगा नया शक्ति-संचार: I-STAR विमान प्रणाली

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (IAF) की क्षमताओं में एक और बड़ा उन्नयन होने जा रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे "ऑपरेशन सिंदूर" के बीच, रक्षा मंत्रालय भारतीय वायु सेना के लिए तीन परिष्कृत ISTAR (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance) यानी खुफिया, निगरानी, लक्ष्य अधिग्रहण और टोही विमान खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यह परियोजना लगभग ₹10,000 करोड़ रुपये की लागत वाली है। 

क्या है ISTAR प्रणाली?

ISTAR प्रणाली एक अत्याधुनिक जासूसी तकनीक है जो हवा से जमीन पर निगरानी, खुफिया जानकारी और लक्ष्य पहचान की सुविधा प्रदान करती है। यह प्रणाली न केवल युद्ध के मैदान में दुश्मन की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी जुटाती है, बल्कि रणनीतिक निर्णयों में भी सैन्य कमांडरों की सहायता करती है। इस प्रणाली में बहु-स्पेक्ट्रल निगरानी उपकरण, उन्नत सेंसर, रडार और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस प्रणाली शामिल हैं, जो दिन और रात, दोनों समय में संचालन में सक्षम हैं।

किस तरह से होगा विकास?

इस परियोजना को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। इसके लिए विमान विदेशी कंपनियों जैसे बोइंग (Boeing) और बॉम्बार्डियर (Bombardier) से खुले टेंडर के माध्यम से खरीदे जाएंगे। बाद में इन्हें CABS (Centre for Airborne Systems) द्वारा विकसित ISTAR तकनीक से लैस किया जाएगा।

रणनीतिक लाभ

सटीक हमले की क्षमता: ISTAR विमान दुश्मन के ठिकानों की स्पष्ट जानकारी जुटाकर वायुसेना को टारगेटेड स्ट्राइक में सक्षम बनाएंगे।

बेहतर खुफिया नेटवर्क: यह प्रणाली सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच रीयल-टाइम डेटा साझा करने की क्षमता रखती है।

आधुनिक युद्ध कौशल में बढ़त: अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल जैसे देशों के साथ तकनीकी स्तर पर भारत की बराबरी।

ऑपरेशनल इफिशिएंसी: एकीकृत ऑपरेशनल पिक्चर तैयार कर कमांडरों को तेज और सटीक निर्णय लेने में सहायता मिलेगी।

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