भारत खरीदेगा R-37M मिसाइलें, चीन की उड़ी नींद!

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय रूस से अत्याधुनिक R-37M हाइपरसोनिक एयर-टू-एयर मिसाइल खरीदने पर विचार कर रही है। यह मिसाइल भारतीय एयरफोर्स की मारक क्षमता को काफी हद तक बढ़ा देगी और दुश्मनों के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगी।

सबसे पहले जानना जरूरी है कि R-37M मिसाइल क्या है। यह रूस द्वारा विकसित की गई हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे NATO ने AA-13 एक्सहेड नाम दिया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) कैटेगरी की मिसाइल है, जिसका मतलब है कि यह दुश्मन के रडार सिस्टम को चकमा देते हुए 300 से 400 किलोमीटर तक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।

R-37M मिसाइल को खास बातें।

अत्यधिक लंबी रेंज: 300-400 किलोमीटर तक, जिससे दुश्मन के इलाके में बिना घुसे भी हमला संभव।

हाइपरसोनिक गति: यह मिसाइल बहुत तेज गति से उड़ती है, जो इसे पकड़ना मुश्किल बना देती है।

रडार से बचने की क्षमता: दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आती, इसलिए जमीनी या हवाई सुरक्षा के लिए खतरा।

भारत के लिए यह मिसाइल क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमाएं चीन और पाकिस्तान से लगती हैं, जिनका भारत के साथ कई बार तनावपूर्ण रिश्ता रहा है। R-37M मिसाइल के आने से भारतीय फाइटर जेट दुश्मन के कई महत्वपूर्ण ठिकानों जैसे इस्लामाबाद, लाहौर, कराची और रावलपिंडी को अपनी वायु सीमा से बाहर निकले बिना निशाना बना सकते हैं।

वहीं, चीन की सीमाओं पर भी यह मिसाइल भारत को ताकतवर स्थिति प्रदान करेगी, जिससे क्षेत्रीय दबाव और बढ़ेगा। पिछले कुछ सालों में भारत ने अपनी एयरफोर्स को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और राफेल फाइटर जेट को शामिल कर भारत ने अपनी हवाई ताकत को काफी बढ़ाया है। अब R-37M मिसाइल की खरीद से भारतीय वायुसेना की सामरिक ताकत और बढ़ेगी, जो भविष्य के युद्ध के लिए निर्णायक साबित होगी।

साथ ही, यह भी बताया जा रहा है कि भारत भविष्य में इस मिसाइल का देश में निर्माण करने की योजना भी बना रहा है। इससे देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी और विदेशी निर्भरता कम होगी।रक्षा मंत्रालय इस खरीद पर जल्द ही अंतिम फैसला ले सकता है।

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