1. गतिशीलता (Motility)
स्पर्म की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उनकी गतिशीलता होती है। चलने-फिरने की क्षमता के बिना स्पर्म अंडाणु तक नहीं पहुँच पाते। स्वस्थ स्पर्म तेज़ और सही दिशा में तैरते हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। गतिशीलता कम होने पर फर्टिलिटी में समस्या आ सकती है।
2. आकार और संरचना (Morphology)
स्पर्म का आकार और संरचना भी उसकी प्रभावशीलता का निर्धारण करती है। स्वस्थ स्पर्म की पूंछ, सिर और मध्य भाग सही आकार में होते हैं, जो उन्हें अंडाणु तक पहुंचने और उसे निषेचित करने में मदद करते हैं। विकृत स्पर्म की संख्या अधिक होने पर गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है।
3. संख्या (Count)
स्पर्म की कुल संख्या भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सामान्यतः पुरुषों में प्रति मिलीलीटर शुक्राणु में लाखों स्पर्म पाए जाते हैं। अधिक संख्या होने से गर्भधारण की संभावना बेहतर होती है। कम संख्या होने पर प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
4. डीएनए की गुणवत्ता (DNA Integrity)
स्पर्म का डीएनए स्वस्थ होना जरूरी है ताकि वह सही तरीके से अंडाणु के साथ मिलकर स्वस्थ भ्रूण का निर्माण कर सके। खराब डीएनए वाले स्पर्म से गर्भधारण का खतरा कम होता है और जन्मजात विकारों की संभावना बढ़ जाती है।
5. जीवनकाल (Longevity)
स्पर्म की जीवन क्षमता भी मायने रखती है। शरीर के बाहर स्पर्म कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन महिला के प्रजनन तंत्र में सही परिस्थितियों में स्पर्म का जीवनकाल बढ़ जाता है, जिससे अंडाणु तक पहुँचने का मौका बढ़ता है।
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