आर्थिक विकास की नई तस्वीर
8वां वेतन आयोग ऐसे समय में सामने आया है जब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। बीते दस वर्षों में महंगाई, डिजिटल परिवर्तन और आर्थिक असमानताओं में बढ़ोत्तरी के चलते सरकारी कर्मचारियों की चुनौतियाँ भी बदली हैं। ऐसे में 8वां वेतन आयोग केवल वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह संतुलित और व्यावहारिक वेतन संरचना की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
आयोग की प्रक्रिया और संरचना
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT), वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग (DoE), पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) और राष्ट्रीय संयुक्त सलाहकार मशीनरी (NC-JCM) इस आयोग के गठन और दिशा-निर्देशन में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र होने की उम्मीद है, जबकि आयोग के लिए सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
संभावित परिवर्तन
1. फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि:
7वें वेतन आयोग में जहां फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, वहीं इस बार 1.92 से 2.86 तक का अनुमान जताया जा रहा है। इससे न्यूनतम वेतन में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
2. महंगाई भत्ता (DA) में बदलाव:
8वें वेतन आयोग लागू होने के बाद DA को पुनः तय किया जाएगा और पिछले वर्षों की बढ़ोत्तरी को नए वेतन ढांचे में जोड़ा जाएगा।
3. पेंशनधारकों को लाभ:
पेंशन और पारिवारिक पेंशनधारकों के लिए भी वेतन वृद्धि के समान अनुपात में लाभ दिए जाएंगे। रिटायरमेंट लाभों की समीक्षा कर उन्हें यथोचित रूप से बढ़ाने की सिफारिश की जा सकती है।
फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि का आधार
फिटमेंट फैक्टर वह गुणक (multiplier) है, जिसके ज़रिए पुराने वेतन को नए वेतन में बदला जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था। 8वें वेतन आयोग में 1.92 से 2.86 तक का फिटमेंट फैक्टर लागू हो सकता है (हालांकि अभी यह सिर्फ अनुमान हैं)।
उदाहरण:
यदि वर्तमान बेसिक सैलरी ₹18,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो जाता है, तो नई सैलरी ₹51,480 हो सकती है। वहीं, पेंशन भी नए फिटमेंट फैक्टर के अनुसार पुनः गणना की जाएगी। सेवानिवृत्ति लाभ, ग्रेच्युटी, और लीव एंकैशमेंट की सीमा बढ़ सकती है। पारिवारिक पेंशन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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