यूपी में बिजली का निजीकरण: जुलाई तक जारी होगा टेंडर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) के निजीकरण की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। उम्मीद है कि जुलाई 2025 तक इन डिस्कॉम के निजीकरण के लिए निविदा प्रक्रिया (टेंडर) शुरू कर दी जाएगी। इस प्रक्रिया में देश के आठ प्रमुख औद्योगिक समूहों ने रुचि दिखाई है, जिनमें अदाणी समूह, टाटा पावर लिमिटेड और ग्रीनको समूह प्रमुख हैं।

42 जिलों में नई बिजली व्यवस्था की तैयारी

फिलहाल पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम राज्य के 42 जिलों में बिजली आपूर्ति का कार्य संभालते हैं। लेकिन अब यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने इन निगमों को भंग करके पांच नई कंपनियों के गठन की योजना बनाई है। खास बात यह है कि इन नई कंपनियों में 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को दी जाएगी, जबकि शेष हिस्सेदारी सरकार के पास रहेगी।

ग्रांट थॉर्नटन को सौंपी गई ज़िम्मेदारी

निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए UPPCL ने ग्रांट थॉर्नटन भारत नामक सलाहकार कंपनी को नियुक्त किया है। यह कंपनी निविदा के दस्तावेज तैयार कर रही है। UPPCL के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने जानकारी दी कि नियामक आयोग की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

उद्योग समूहों ने दिखाई दिलचस्पी

अप्रैल 2025 में लखनऊ में आयोजित एक अहम बैठक में पावर सेक्टर से जुड़े बड़े उद्योग समूहों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में अदाणी पावर के एमडी अनिल सरदाना, टाटा पावर के संजय बग्गा और चंडीगढ़ पावर के अनिल धमीजा जैसे दिग्गज मौजूद रहे। इन कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में बिजली सुधार में सहयोग का भरोसा दिलाया। टाटा पावर के एमडी प्रवीर सिन्हा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी कंपनी इस प्रक्रिया में भाग लेगी। वहीं, अदाणी समूह के प्रवक्ता ने भी अपनी भागीदारी की पुष्टि की है।

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