यूपी में डॉक्टर-नर्स के तबादलों को लेकर बड़ा फैसला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के तबादले को लेकर एक अहम फैसला लिया है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में तैनात चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों के लिए अब सेवाकाल के आधार पर अनिवार्य स्थानांतरण की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। यह निर्णय स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा विभागों द्वारा जारी संशोधित शासनादेश के तहत लिया गया है।

शुक्रवार को प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दो अलग-अलग शासनादेशों में यह स्पष्ट किया कि नए नियमों के तहत अब सामान्य डॉक्टर और स्टाफ नर्स को सिर्फ इसलिए ट्रांसफर नहीं किया जाएगा क्योंकि उन्होंने किसी जिले में तीन साल या मंडल में सात साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। यह छूट चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के स्टाफ पर भी लागू होगी।

वरिष्ठ पदों पर तैनात अधिकारियों पर रहेगा तबादला नियम लागू

हालांकि, यह राहत सिर्फ चिकित्सकीय व नर्सिंग स्टाफ तक सीमित है। सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी), एसीएमओ (अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी), सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक), प्रमुख अधीक्षक, निदेशक, और संयुक्त निदेशक जैसे प्रशासनिक पदों पर तैनात अधिकारियों पर स्थानांतरण की नीति यथावत लागू रहेगी।

सीएमओ/एसीएमओ: 3 वर्ष से जिले और 7 वर्ष से मंडल में तैनात अधिकारियों का तबादला अनिवार्य किया जाएगा।

सीएमएस/प्रमुख अधीक्षक/निदेशक: 5 वर्ष से अधिक समय से तैनाती होने पर तबादला किया जाएगा।

संयुक्त निदेशक: मंडल में 5 साल से अधिक समय पर तैनात होने पर होंगे ट्रांसफर।

सीएचसी/पीएचसी अधीक्षक: सीएमओ के अधीनस्थ सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 3 साल से अधिक तैनात अधीक्षकों को जिले में ही अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।

आकांक्षात्मक जिलों में अधिक स्टाफ की तैनाती पर जोर

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आकांक्षात्मक जिलों और ब्लॉकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से अधिकाधिक चिकित्सकीय व नर्सिंग स्टाफ की तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही प्रशासनिक आवश्यकताओं के आधार पर कभी भी स्थानांतरण संभव होगा।

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